उदयपुर, नवम्बर 2023.
’’कृषि क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएं व चुनौतियां’’
विषय पर मंगलवार को यहां कृषि वैज्ञानिकों ने गहन मंथन किया। साथ ही महाराणा प्रताप
कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के मध्य समझौता ज्ञापन
(एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गये। आगामी पांच वर्ष के लिए हुए इस करार के तहत् कृषि शिक्षण,
अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के साथ कृषि में नवाचार व रोजगारोन्मुखी बनाने पर जोर
दिया जाएगा। समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर धानुका ग्रुप के अध्यक्ष श्री आर.जी. अग्रवाल
एवं कुलपति, एम.पी.यू.ए.टी, डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने हस्ताक्षर किए।
एमओयू
का प्रमुख उद्देश्य शिक्षाविदों, एमएससी में उत्कृष्टता के लिए बीएससी (कृषि) के दौरान
एमपीयूएटी के छात्रों को फैलोशिप प्रदान करना है। साथ ही पीएचडी, अनुसंधान और विकास
गतिविधियों को प्रौन्नत करने के लिए फसलों में कीटनाशकों के छिड़काव और क्षेत्र के अध्ययन
में ड्रोन के उपयोग के विभिन्न विकल्पों का पता लगाया जाएगा। एमओयू के अनुसार धानुका
द्वारा प्रायोजित ड्रोन अनुप्रयोगों के माध्यम से जैव प्रभावकारिता और फाइटोटॉक्सिीसिटी
परीक्षणों का संचालन का जिम्मा एमपीयूएटी का रहेगा। परीक्षणों में धानुका विशेषज्ञों
की भागीदारी भी सुनिश्चित रहेगी।
खास
बात यह है कि ड्रोन लेब स्थापना के लिए मप्रकृप्रौविवि स्थान और विशेषज्ञता धानुका
को उपलब्ध कराएगा। कृषि रसायनों के डिजाइन विकास और प्रभावी उपयोग पर अनुसंधान किया
जाएगा।
इसके
अलावा सहयोगात्मक शोध के परिणाम वाले शोधपत्रों को संयुक्त व समान अधिकार प्राप्त होंगे
ताकि शोध पत्रिकाओं में प्रकाशन कर अधिकाधिक लोगों को लाभ मिल सके। समझौते के अनुसार
विश्वविद्यालय के अधीन कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों के खेतों पर प्रदर्शन-अनुकूली
परीक्षण आयोजित किए जाएंगें जहां प्रगतिशील किसानों का दौरा भी कराया जाएगा।
समझौते
के तहत् धानुका बिना किसी शुल्क कृषि छात्रों को उत्पाद प्रबन्धन प्रशिक्षण और प्रमाणन
प्रदान करेगा। फसल सुरक्षा उत्पादों के सुरक्षित उपयोग के लिए छात्रों को व्यक्तिगत
सुरक्षा उपकरण वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किसान मेला,
संगोष्ठी, सम्मेलन को प्रायोजित करेगा। प्लेसमेंट उद्देश्य से कैंपस साक्षात्कार में
धानुका भाग लेगा, ताकि उच्च शिक्षित छात्रों को रोजगार मिल सके। नई प्रौद्योगिकियों
के साथ परियोजनाएं शुरू करने पर भी विचार किया जाएगा।
बीज
उत्पादन के लिए राजस्थान की भूमि सर्वोत्तम : संस्थागत विकास योजना व राष्ट्रीय
कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के सौजन्य से आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उद्योगपति
एवं धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के अध्यक्ष श्री आर.जी. अग्रवाल ने कहा कि वे स्वयं राजस्थान
के हैं और ऐसे में राज्य के कृषि छात्रों के भविष्य एवं किसानों की खुशहाली के लिए
हर संभव मदद को तत्पर रहेंगे। अस्सी के दशक में उर्वरक एवं कृषि रसायन के क्षेत्र में
कदम रखने वाली धानुका एग्रीटेक कम्पनी कृषि के माध्यम से भारत को अग्रणी देशों में
देखने को न केवल आतुर है, बल्कि निरन्तर प्रयासरत है। धानुका समूह के अध्यक्ष श्री
आर जी अग्रवाल ने एमओयू हस्ताक्षर समारोह में सभा को संबोधित किया और किसानों के प्रयासों
को धन्यवाद दिया जो हमारी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने किसानों को नवीनतम
तकनीक हस्तांतरित करने के लिए उचित विस्तार के महत्व का उल्लेख किया है। वर्तमान में,
हमारे किसानों की आय अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है, उदाहरण के लिए हमारा पड़ोसी
देश चीन। श्री अग्रवाल जी ने हमारे किसानों की कम आय के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारणों
पर जोर दिया। मुख्य रूप से इतनी कुशल विस्तार प्रणाली का न होना, किसानों के लिए खुले
और प्रतिस्पर्धी बाजारों की कमी, कम पानी की उपलब्धता और नवीनतम सिंचाई सुविधाओं की
कमी, किसानों को वित्तीय सहायता और गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की अनुपलब्धता वे कारण
हैं जिनके बारे में श्री अग्रवाल ने बात की है। धानुका एग्रीटेक किसानों को बेहतर विस्तार
और शिक्षित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। धानौका ने राष्ट्रीय स्तर के संगठन एसीएफआई
के बैनर तले किसानों को शिक्षित करने के लिए कई अभियान चलाए हैं।
श्री
अग्रवाल जी ने इस समझौता ज्ञापन के महत्व का उल्लेख किया है क्योंकि साथ मिलकर काम
करने से अनुसंधान और विस्तार गतिविधियाँ मजबूत होंगी।
महाराणा
प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय सभागार में आयोजित
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व निदेशक भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान व मेज (मक्का)
मैन के नाम से प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. साईंदास ने कहा कि राजस्थान की माटी, जलवायु
हर-हर प्रकार के बीज उत्पादन के लिए मुफीद है। दक्षिणी राजस्थान में सिंगल क्रॉस हाइब्रिड
मक्का की खेती डॉ. साईं दास की ही देन है।
विश्वविद्यालय
के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि डॉ. र्साइं दास ने बदलते जलवायु परिदृश्य
में मक्का किस्म का परिचय कराया। साथ ही विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियां गिनाई।
उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों को मंदिर की संज्ञा देते हुए कहा कि केवीके इतने सुदृढ़
होने चाहिये कि किसानों की हर जरूरत की पूर्ति वहां हो सके और विगत एक वर्ष में इसके
लिए विशेष प्रयास हुए हैं जो सराहनीय है। कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक, श्री भूरालाल
पाटीदार ने बताया कि दक्षिणी राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा कृषि जोन-चतुर्थ ए एवं बी में
आता है। यहां प्रमुख खरीफ फसल मक्का है। कृषि विज्ञानी डॉ. साईं दास ने बांसवाड़ा एवं
डूंगरपुर में सीड रिप्लेसमेंट की दिशा में बेहतर काम किया है जिसके लिये उन्हें सदैव
याद किया जायेगा। पाटीदार ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान में मक्का प्रौसेसिंग यूनिट की
सख्त आवश्यकता है ताकि क्षेत्र के किसानों को मक्का उत्पादन का समूचित प्रतिफल मिल
सके।
कार्यक्रम
के दूसरे सत्र में प्रसार शिक्षा निदेशालय के सभागार में उद्योग अकादमी बैठक का आयोजन
किया गया जिसमें कृषि वैज्ञानिक, उद्योगपति एवं कृषि छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। आरम्भ
में अधिष्ठाता, सीटीएई, डॉ. पी.के सिंह, निदेशक अनुसंधान, डॉ. अरविन्द वर्मा एवं अधिष्ठाता,
राजस्थान कृषि महाविद्याल, डॉ. एस.एस. शर्मा ने भी विचार व्यक्त किये। प्राध्यापक,
डॉ. लतिका व्यास, प्रसार शिक्षा निदेशालय ने कार्यक्रम में प्रधारे सभी अतिथियों का
धन्यवाद ज्ञापित किया।
उल्लेखनीय
है कि धानुका एग्रीटेक लिमिटेड की स्थापना 13 फरवरी, 1985 को हुई। कम्पनी तरल, धूल,
पाउडर और कणिकाओं में जड़ी बूटियों, कीटनाशकों, कवकनाशी और पौधों के विकास नियामकों
जैसे कृषि रसायनों की एक विस्तृत श्रृंखला के निर्माण और व्यापार में संलग्न है। गुजरात
के साणंद, राजस्थान के केशवाना और जम्मू कश्मीर के उधमपुर में कम्पनी की औद्योगिक इकाइयां
स्थापित है। स्थानीय युवाओं, सामुदायिक विकास के मद्देनजर धानुका शिक्षा प्रदान करने
प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करने के लिए सदैव प्रयासरत है।