डायन प्रथा तथा बाल विवाह के उन्मूलन में स्वयंसेवी संगठन भूमिका निभाएं -मुख्यमंत्री

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जयपुर, 5 नवम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहे संगठन समाज से डायन प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों एवं अंधविश्वासों के उन्मूलन के लिए आगे आकर राज्य सरकार का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक के इस युग में ऎसी कुप्रथाओं और अंधविश्वासों को उचित नहीं कहा जा सकता। समाज की उन्नति में ये बाधक हैं। सामाजिक संस्थाएं इन कुप्रथाओं के खिलाफ वातावरण तैयार करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

श्री गहलोत मंगलवार को एकल नारी शक्ति संगठन की 20वीं वर्षगांठ पर आदर्शनगर सेवा सदन में ‘बहिना दूज-जश्न बहिनचारे का‘ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

हर नारी के मन में हो इंदिरा गांधी जैसा जज्बा

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब महिलाओं को घूंघट में रखा जाता था। आज वक्त बदल चुका है। महिलाएं पढ़-लिखकर हर क्षेत्र में सफलता के झंड़े गाड़ रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण हम सबके सामने है, जिन्होंने 17 साल तक देश का सफल नेतृत्व किया। उन्होंने परमाणु परीक्षण कर दुनिया में भारत की ताकत का लोहा मनवाया। साथ ही पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश को आजाद कराया। इतनी बड़ी उपलब्धियों पर भी उन्होंने कोई राजनीति नहीं की। श्रीमती गांधी जैसा दृढ़ संकल्प और संघर्ष करने का मजबूत जज्बा हर नारी के मन में होना चाहिए। तभी देश आगे बढ़ेगा। 

महिलाओं के हक के लिए लगातार फैसले ले रही सरकार

श्री गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार लगातार ऎसे फैसले ले रही है जिससे महिलाओं को उनका हक मिले। सरकारी स्कूलों में बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। महिला उत्पीड़न से जुड़े प्रकरणों के त्वरित अनुसंधान के लिए सरकार ने हर जिले में पुलिस उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी लगाए हैं। साथ ही विधवा एवं वृद्धावस्था पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई है। मुख्यमंत्री ने एकल नारी शक्ति संगठन से जुड़ी महिलाओं को संस्था की 20वीं वर्षगांठ की बधाई देते हुए कहा कि वे बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने में भी भागीदारी निभाएं। 

महिला सशक्तीकरण के लिए एक हजार करोड़

महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने कहा कि महिलाओं के सम्मान तथा उनकी गरिमा को बढ़ाने की दिशा में राज्य सरकार ने हमेशा पहल की है। सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि प्रदेश में महिलाओं की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। अब वे अपने फैसले खुद ले रही हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी महिला शक्ति निधि के रूप में एक हजार करोड़ रूपए महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए दिए हैं। इससे वे आत्मनिर्भर हो सकेंगी। 

भारत में कनाड़ा की डिप्टी हाई कमिश्नर डी. केंट ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राजस्थान सरकार महिला सशक्तीकरण की दिशा में प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। एकल नारी शक्ति संगठन से जुड़ी डॉ. जिनी श्रीवास्तव तथा लाली धाकड़ ने कहा कि प्रदेश की करीब 70 हजार महिलाएं संगठन से जुड़ी हैं और विधवा, परित्यकता एवं तलाकशुदा महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए काम कर रही हैं। इस अवसर पर पुस्तिका ‘बदलाव की मिसाल-एकल महिला‘ का विमोचन भी किया गया।