जयपुर, 19 नवम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि मोबाइल फोन तकनीक एक क्रांति है। युवा एवं विद्यार्थी इसका सदुपयोग कर देश एवं समाज का नवनिर्माण कर सकते हैं वहीं इसका दुरूपयोग हमें उल्टी दिशा में भी ले जा सकता है।
श्री गहलोत देश के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की 130वीं जयंती पर मनाए जा रहे बाल अधिकार सप्ताह के तहत सोमवार को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर बाल संगम कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बदलते जमाने के साथ ही हमें शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। श्री गहलोत ने महिलाओं में घूंघट प्रथा को समाप्त करने के लिए सामाजिक सोच में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने अजमेर, उदयपुर, बीकानेर व कोटा में एक साथ शुरू हुए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का ऑनलाइन उद्घाटन किया। उन्होंने राजकीय बाल देखरेख संस्थानों के सुदृढ़ीकरण में योगदान देने वाले भामाशाहों एवं बाल देखरेख संस्थानों के मेधावी बालक-बालिकाओं का सम्मान करने के साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण के मॉड्यूल एवं बाल अधिकार संरक्षण पर तैयार प्रचार सामग्री का विमोचन भी किया। उन्होंने छात्राओं को स्कूटी एवं साइकिल का वितरण किया।
श्री गहलोत ने कहा कि आज की दुनिया में ज्ञान ही शक्ति है। इसका सदुपयोग मानव सभ्यता का विकास कर सकता है और दुरूपयोग हमें विनाश की ओर धकेल सकता है। उन्होंने कहा कि परमाणु शक्ति का सदुपयोग बिजली निर्माण और अन्य विकास कार्यों में जहां सार्थक है तो दुरूपयोग हिरोशिमा एवं नागासाकी जैसी विभीषिकाओं के रूप में सामने आता है।
मुख्यमंत्री ने देश के विकास में पं. नेहरू के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने देश की आजादी के लिए 10 साल से अधिक समय जेल में बिताए। प्रधानमंत्री के रूप में एम्स, आईआईटी और आईआईएम जैसे शिक्षण संस्थान, बड़े-बड़े बांध तथा कारखाने जैसी सौगातें देकर आधुनिक भारत की नींव रखी। उन्होंने कहा कि पं. नेहरू के योगदान की जानकारी नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हम सभी को प्रयास करने हाेंगे।
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार बालिकाओं और महिलाओें को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बना रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे दूसरे कार्यकाल में राजस्थान पहला ऎसा राज्य बना जहां बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए अलग से बाल अधिकारिता विभाग बनाया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार से अपील की कि यदि यह विभाग कहीं नहीं है तो केन्द्र के सहयोग से सभी जगह यह विभाग बनाया जाए। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि बच्चे कच्ची मिट्टी जैसे होते हैं। आप जैसा उन्हें ढालेंगे वे वैसे ही बन जाएंगे। शिक्षक बच्चों को संस्कारवान बनाएं।
कार्यक्रम में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि बाल अधिकारिता विभाग बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है। विभाग ने राजकीय बाल देखरेख संस्थानों में रह रहे बच्चों को हुनरमंद बनाने के लिए प्रशिक्षण का अभिनव प्रयोग शुरू किया है। यह प्रयोग उनके संस्थान से बाहर जाने के बाद रोजगार की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण एवं सफल सिद्ध होगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि पं.नेहरू की 130वीं जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रमों से प्रदेश में सकारात्मक संदेश गया है। कार्यक्रम में चिकित्सा एवं जनसम्पर्क मंत्री डॉ. रघु शर्मा, जिले के प्रभारी तथा खान मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया, तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती संगीता बेनीवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं आमजन भी उपस्थित थे।