जयपुर,25 दिसम्बर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने उदयपुर, डूंगरपुर एवं बांंसवाड़ा जिलों से बच्चों को गुजरात ले जाकर वहां उनसे अकुशल श्रमिक के रूप में काम में लेने पर लगाम लगाने के लिए त्वरित कार्यवाही करने एवं बाल श्रम की समस्या का स्थाई समाधान निकालने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा मार्मिक है और मासूम बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेलने वाले दलालों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम एवं अन्य प्रभावी धाराओं के तहत सख्त एवं प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाये ताकि इसमें संलिप्त लोगों को स्पष्ट एवं कड़ा संदेश मिले।
श्री गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में गुजरात से सटे दक्षिणी राजस्थान के जिलों में बाल श्रम के लिए बच्चों के परिवहन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए उठाये जा रहे कदमों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इसमें शामिल दलालों पर सख्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए ताकि वे आगे से ऎसी अमानवीय गतिविधियों में लिप्त होने से पहले इससे जुड़े कानूनों की सख्ती से घबराएं। उन्होंने इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ताओं, बाल संरक्षण आयोग एवं चाइल्ड वेलफेयर कमेटियों का सहयोग लेकर प्रभावी अभियान चलाने के निर्देश दिये। उन्होंने इस सम्बन्ध में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने के भी निर्देश दिए जो इस समस्या के तह में जाकर बाल श्रम पर स्थायी रोकथाम के लिए लघु एवं दीर्घ अवधि के उपाय सुझाए।
मुख्यमंत्री ने गुजरात से लगने वाली तीनों जिलों की सीमाओं पर सघन जांच के लिए चैक पोस्ट लगाकर वहां 24 घण्टे होमगार्ड अथवा पुलिस की उपस्थिति सुनिश्चित करने, बच्चों को ले जाने में प्रयुक्त होने वाले ओवरलोडिंग वाहनों की सघन जांच करने, बाल श्रम के लिए ले जाए रहे बच्चों को छुडाने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के माध्यम से उनका प्रभावी पुनर्वास सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये।
श्री गहलोत ने कहा कि बाल श्रम एवं बच्चों के अवैध परिवहन पर प्रभावी लगाम लगाने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर व्यापक सर्वे पर वस्तुस्थिति का पता लगाया जाये ताकि अपने मासूम बच्चों को दलालों के हवाले करने वाले माता-पिता एवं अन्य लोगों को जागरूक किया जा सके। उन्होेंने कहा कि जिला स्तर पर बनी चाइल्ड वेलफेयर कमेटियों एवं चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स को सक्रिय किया जाये। उन्होंने प्रभावित जिलों में महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से रोजगार की संभावनाएं बढ़ाने के निर्देश दिए ताकि लोगों को अधिक रोजगार दिया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिसेफ के सहयोग से पंचायती राज से जुड़ी संस्थाओं, संरपच एवं वार्डपंचों के लिए आमुखिकरण कार्यशाला आयोजित कर उन्हें बाल श्रम रोकने की दिशा में प्रयास करने के लिए जागरूक किया जाये। इसके अलावा सीमावर्ती जिलों के स्कूलों के प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों को निर्देश दिए जाएं कि लंबे समय तक अनुपस्थित रहने वाले बच्चों की जानकारी जिला एवं ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को उपलब्ध करवाई जाये ताकि इस संबंध में उचित कार्यवाही की जा सके। उन्होंने कहा कि स्कूलों से ड्रॉप आउट रोकने की दिशा में भी प्रयास किए जाएं।
श्री गहलोत ने जिला स्तर पर कलक्टर के नेतृत्व में अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सरकारी योजनाओं विशेषकर नरेगा, राजीविका, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ समुचित रूप से लाभार्थियाेंं को मिले। उन्होंने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए कि गुजरात की सीमा से सटे तीनों जिलों के पुलिस अधीक्षकों को स्पष्ट संदेश दिया जाए कि बाल श्रम के लिए बच्चों के परिवहन में शामिल लोगों को चिन्हित कर किशोर न्याय अधिनियम के तहत उनके खिलाफ प्रभावी एवं सख्त कार्रवाई करें।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि गुजरात से सटे इन जिलों के बच्चों को बीटी कॉटन फील्ड में काम करवाने एवं वहां विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों में बाल श्रमिक के रूप में काम कराने के लिए ले जाया जाता है। इस सम्बन्ध में पूर्व में गुजरात एवं राजस्थान के अधिकारियों की संभाग स्तरीय संयुक्त कमेटी गठित की गई थी। इन कमेटियों की निरन्तर बैठकें आयोजित कर गुजरात के अधिकारियों का सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा बीटी कॉटन एवं अन्य उद्योगों से जुड़े उद्योगपतियों के साथ बैठक आयोजित कर उन्हें बच्चों को मजदूर के रूप में नियोजित नहीं करने का आग्रह करने जैसे कदम भी उठाए जाएंगे।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) श्री राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक श्री भूपेन्द्र यादव, प्रमुख शासन सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता श्री अखिल अरोड़ा, आयुक्त नरेगा श्री पी.सी. किशन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।