नई दिल्ली : लॉ की डिगरी को कई दशकों से भारी लोकप्रियता मिलती आ रही है और इसका कारण यह है कि किसी भी स्ट्रीम का छात्र आसानी से इसका चयन कर सकता है। इसके अलावा, समाज में करियर और सम्मान के मामले में भी इसका बहुत स्कोप है।
अगर आपको लगता है कि आप क्लैट को पूरी तरह से समझ चुके हैं तो आप गलत हैं। दरअसर, क्लैट की परीक्षा और कट-ऑफ में कई बादलाव होते रहते हैं, इसलिए उनकी जानकारी रखना बेहद जरूरी है। क्लैट 2020 की परीक्षा में भी कई बदलावों की घोषणा की गई है।
प्रथम टेस्ट प्रेप के नेशनल प्रॉडक्ट हेड-लॉ, श्री अमनदीप राजगोत्रा ने बदलते पैटर्न के बारे में बात करते हुए कहा कि, “पिछले 5 सालों में क्लैट के पैटर्न में कई बदलाव आए हैं। क्लैट 2015 की परीक्षा के दौरान छात्रों को कई समस्याएं आईं थी। कुछ छात्रों ने देश के कई कोर्ट में इसके बारे में शिकायत भी दर्ज की, जिसपर छात्र आज भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार रहे हैं। क्लैट 2016 में कट-ऑफ बहुत ज्यादा होने के बाद भी लगभग सभी टॉप उम्मीदवारों ने परीक्षा को अच्छे अंको के साथ क्वालीफाई किया था क्योंकि पेपर बहुत सरल था। क्लैट 2017 की परीक्षा थोड़ी मुश्किल थी इसलिए कट-ऑफ कम कर दिया गया था। क्लैट 2018 की परीक्षा में इतना बवाल हुआ कि आखिर में कोर्ट को एनएलएसआईयू में क्लैट सेक्रेटेरिएट की नियुक्ति करनी पड़ी और भविष्य की क्लैट परीक्षाओं के लिए एक नई कम्मिटी का चुनाव किया गया। क्लैट 2019 में सबसे बड़ा बदलाव यह था कि परीक्षा ऑफलाइन थी।”
श्री अमनदीप राजगोत्रा ने आगे बताया कि, “क्लैट 2020 की बात करें तो, नेशल लॉ युनिवर्सिटी के संघ द्वारा 21 नवंबर, 2019 को एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कई बदलावों की घोषणा की गई थी। क्लैट 2020 का सबसे बड़ा बदलाव इसका पैटर्न है। नोटिस के अनुसार, परीक्षा में क्वान्टिटेटिव टेक्नीक्स, इंग्लिश, करंट अफेयर, डिडक्टिव रीजनिंग और लॉजिकल रीजनिंग से कॉम्प्रिहेन्शन आधारित सवाल पूछे जाएंगे। इसके अलावा इस बार सवालों की संख्या को 200 से घटाकर 12-150 कर दिया गया है। हालांकि, नए पैटर्न की पूरी जानकारी 31 दिसंबर 2019 को आने वाले नए नोटिस में दी जाएगी।”