गाजियाबाद, 27 फरवरी, 2020: डायबिटीज से ग्रस्त 44 वर्षीय मरीज की किडनी फेल होने के कारण मरीज की जान खतरे में थी। मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में कैडेवरिक रीनल ट्रांसप्लान्ट की मदद से मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया।
गाजियाबाद निवासी श्री आमया चक्रवर्ती, 2 साल से होमोडायलिसिस पर थे, जहां वे कैडेवरिक रीनल ट्रांसप्लान्ट के लिए वेटिंग लिस्ट में थे। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली को 6 जनवरी 2020 की शाम को नोटो (एनओटीटीओ) से गुरुग्राम स्थित आर्टमिस हॉस्पिटल में एक कैडेवरिक किडनी की जानकारी मिली। डोनर की उम्र 60 साल थी और वे ब्रेन हेमरेज और ब्रेन डेथ से ग्रस्त थे।
वैशाली स्थित मैक्स हॉस्पिटल के रीनल ट्रांसप्लान्ट और रोबोटिक्स के यूरोलॉजी चेयरमैन, डॉक्टर अनंत कुमार ने बताया कि, “हमें जैसे ही संकेत मिला, वेटिंग लिस्ट को देखते हुए मरीज आमया को रीनल ट्रांसप्लान्ट के लिए चुना गया। इस कैडेवरिक किडनी की मदद से मरीज को एक नया जीवन प्राप्त हुआ। चूंकि, मरीज पहले कार्डियक बाईपास सर्जरी करा चुका था, इसलिए यह मामला और अधिक पेचीदा बन गया था। मरीज का दिल बहुत कमजोर था और केवल 40 फीसदी ही काम कर रहा था। डबल ब्लड थिनर मेडिकेशन पर होने के कारण उसे अनियंत्रित डायबिटीज भी थी, जिससे सर्जरी में बहुत अधिक खतरा था।”
कैडेवरिक डिकनी के मिलते ही, डॉक्टर अनंत कुमार, यूरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लान्ट कॉर्डिनेटर समेत नेफ्रोलॉजिस्ट्स के विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर रातभर मरीज का इलाज करते रहे।
इस मामले में खतरा बहुत ज्यादा होने के कारण मरीज को ट्रांसप्लान्ट से जुड़े सभी खतरों के बारे में बताया गया। चूंकि, मरीज के परिवार में कोई भी ऐसा नहीं था, जो अपनी किडनी दान कर सके, इसलिए उनकी जान बचाने का यह एकमात्र मौका था। वहीं, कोई किडनी न मिलने पर मरीज को अपना सारा जीवन डायलिसिस पर गुजारना पड़ता।
डॉक्टर अनंत कुमार ने आगे बताया कि, “कैडेवरिक किडनी मिलते ही, मरीज की सर्जरी शुरु कर दी गई। पूरी टीम की मदद से मरीज का सफल इलाज संभव हो सका, और किडनी तुरंत ही सामान्य रूप से काम करने लगी। इस कैडेवरिक किडनी की मदद से मरीज की जान बचाना संभव हो सका।”