जयपुर। क्या आप जानते हैं कि तंबाकू (बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटखा आदि) का लगातार सेवन लगभग शरीर के हर अंग को
नुकसान पहुंचाता है साथ ही स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियों को जोखिम भी बढ़ाता है।
इसमें मौजूद केमिकल दिल की धड़कन व ब्लड प्रेशर बढ़ा देते हैं। आंकड़ों के अनुसार
तंबाकू सेवन से विश्व में हर छह सैकण्ड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। फेफड़े, मुंह व गले का 90 फीसदी कैंसर तंबाकू उत्पादों के सेवन से होता है। तंबाकू सेवन से दिल की
बिमारी, लकवा, डायबिटिज, गठिया, फेफड़ा रोग आदि का
जोखिम ब़़ढ़ जाता है। खास बात यह है कि यदि तंबाकू सेवन छोड़ने की ठान लें तो शरीर
में इसके तुरंत लाभ दिखाई देने लगते हैं। छोड़ने के अगले 20 मिनट में ही हार्ट रेट और बीपी सामान्य होने लगता है और 3 महिने के अंदर ही फेफड़े मजबूत होने लगते हैं और शरीर
में खून के संचार में सुधार आने लगता है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित स्वामी ने बताया कि धुंए के छल्लों से अपने बच्चों के भविष्य को न बांधें। धूम्रपान व
तंबाकू सेवन से दिल की बीमारी होने की संभावना 2 से 4 गुणा बढ़ जाती है। ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी 2 से 4 गुणा बढ़ जाता है। वहीं फेफड़ों के कैंसर का खतरा 5 से 10 गुणा तक बढ़ जाता है। यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को
भी प्रभावित करता है एवं गंभीर फेफड़ा रोग (सी.ओ.पी.डी.) का सबसे बड़ा जोखिम कारक
है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के ईएनटी एंड हेड नेक सर्जरी, कंसल्टेंट डॉ.
दीपांशु गुरानी बताते हैं कि, अभी के दौर को
देखते हुए कोविड के संक्रमण की गंभीरता का धूम्रपान करने वाले लोगो में अधिक खतरा
है। धूम्रपान करने वालों की इम्युनिटी पहले से कमज़ोर होती है और फेफड़ों की स्थिति
भी सामान्य व्यक्ति से कमज़ोर होती है. ऐसे में कोविड संक्रमण बीमारी के रूप में
धूम्रपान कारने वालों को अधिक नुक्सान पहुंचा सकता है। साथ ही कोविड के कारण होने
वाली कमजोरी, मांसपेशियों पर दुष्प्रभाव आदि धूम्रपान के कारण और भी गंभीर हो सकते
हैं।धूम्रपान करने वाले लोगों को हर हाल में इस आदत से निजात पानी चाहिए।“
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, जयपुर के कैंसर सर्जन डॉ. दिनेश
गुप्ता ने बताया कि तंबाकू सेवन छोड़ने पर ऐसे होता असर :
- पहले 3 माह में फेफड़े मजबूत व साफ होने लगते हैं। ब्लड फ्लो
में भी सुधार होता है।
- एक साल के अंदर दिल
की बिमारी का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
- 5 साल में ब्रेन स्ट्रोक
(लकवा) व सर्वाईकल कैंसर होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती हैं। अब वह उतनी
ही है जितना की धूम्रपान नहीं करने वालों की होती हैं।
- तंबाकू छोड़ने के 10 साल बाद लंग कैंसर से होने वाली मौत का आंकड़ा आधा रह
जाता है।
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15 साल में हृदय रोग होने की
संभावना अब उतनी ही है, जितना
की धूम्रपान नहीं करने वालों की होती है।