जयपुर। ब्रेन ट्यूमर की पहचान होने पर अकसर मरीज अपने जीवन की आशा छोड़ देते थे जबकि
ब्रेन ट्यूमर से जिंदगी थम नहीं जाती। चिकित्सा विज्ञान में आई नई तकनीकें ब्रेन
ट्यूमर के मरीजों के लिए वरदान साबित हुई हैं। जल्दी जांच करवा कर नई तकनीकों से
ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब आसानी से संभव है और मरीज अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकता
है।
वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर दिवस के
तहत नारायणा हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने इस बीमारी के प्रति लोगों को वेबिनार के
माध्यम से जागरूक किया। हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. के.के. बंसल ने इस
मौके पर बताया कि हमारे शरीर में कोशिकाएं लगातार विभाजित होती रहती हैं, कोशिकाएं मरती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं जन्म लेती हैं। इस व्यवस्था में कई
बार किसी कारण से नई कोशिकाएं तो पैदा होती रहती हैं, लेकिन पुरानी
कोशिकाएं नहीं मरती। धीरे-धीरे कोशिकाओं और ऊतकों की एक गांठ बन जाती हैं, जिसे हम ट्यूमर कहते हैं। बता दें , जरूरी नहीं कि सभी ट्यूमर कैंसर के हों। करीब 40 से
50 प्रतिशत मामलों में ट्यूमर साधारण यानी नॉन-कैंसर्स होते हैं और कुछ ही
मेलिग्नेंट यानी कैंसर वाले होते हैं।
ब्रेन ट्यूमर होने पर इसका इलाज
सर्जरी द्वारा ही संभव होता है। अभी तक एंडोस्कोपी की मदद से शरीर के कई अंगों की
सर्जरी संभव होने लगी है। लेकिन ब्रेन ट्यूमर के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया
जाने लगा है। मिनिमली इन्वेसिव तकनीक से इस मुश्किल सर्जरी में पहले से बेहतर
परिणाम सामने आने लगे हैं। एंडोस्कोपिक सर्जरी की सहायता से मरीज को बड़ा चीरा नहीं
लगाना होता और की-होल सर्जरी से ही उसका ट्यूमर निकाल दिया जाता है। इससे मरीज की
रक्त वाहिकाओं को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता और कम रक्तस्त्राव से उसकी सर्जरी हो
जाती है। एंडोस्कोपिक सर्जरी से मरीज जल्दी रिकवरी कर अपने सामान्य जीवन में लौट
सकता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण :
- सुबह उठने के तुरंत बाद ही
सिर में दर्द होना
- अचानक उल्टी जैसा महसूस होना
- व्यक्ति के व्यवहार में
परिवर्तन आना
- छोटी छोटी बातों में
चिड़चिड़ाहट होना
- आंखों की रोशनी कम होना
बचाव के उपाय
- तनाव रहित जीवन शैली
- भरपूर नींद लें
- मोबाइल फोन का सीमित उपयोग
करें
- खान-पान संतुलित करें