कोविड आने से पहले है हेपेटाइटिस गंभीर समस्या

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पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति के लिए कोविड का संक्रमण और भी खतरनाक साबित हो सकता है। इस कड़ी में एक रोगों का समूह है वायरल हेपेटाइटिस जो लिवर को गंभीर रूप से प्रभावित कर लिवर सिरोसिस भी कर सकता है। जितने लोगों की एच.आई.वी., मलेरिया व टी.बी. से संयुक्त रूप से मृत्यु होती है, उससे ज्यादा अकेले हेपेटाइटिस से मौतें होती है। लिवर कैंसर के 80% से ज्यादा केस क्रोनिक हेपेटाइटिस के कारण होते है। भारत में हर 100 में से लगभग 4% से 5% लोगों को हेपेटाइटिस है और अधिकतर लोगों में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। तो आखिर हेपेटाइटिस एक रोग के रूप में कितना गंभीर है और कोविड के सन्दर्भ में इसकी क्या व्याख्या है बता रहे हैं नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के विशेषज्ञ डॉक्टर :- 

हेपेटाइटिस से जूझ रहे मरीज, कोरोना काल में रखें खास ध्यान नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के पेट, आँत व लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित सांघी ने बताया कि सबसे पहले यह समझें कि कोविड संक्रमण केवल फेफड़ों तक ही सीमित नहीं है, यह शरीर के अन्य अंगों को को भी प्रभावित करता है जिसमें लिवर शामिल है। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि कोविड से जूझ रहे व्यक्ति में हेपेटाइटिस या किसी भी रोग का पहले से होना कोविड और उस रोग की गंभीरता को व्यापक रूप से बढ़ा सकता है। ऐसे में कुछ बातें समझने की ज़रूरत है :-

•             हेपेटाइटिस बी और सी के मरीज़ कोविड संक्रमण होने पर भी अपना इलाज न रोकें क्योंकि कोविड से होने वाली हानि ऐसे मरीजों के लिवर पर अतिरिक्त रूप से भारी पड़ सकती है।

•             हेपेटाइटिस के मरीज़ को कोविड वैक्सीन लगवाने से कोई खतरा नहीं है। रोग की गंभीरता से बचाव के लिए बल्कि यह बेहद ज़रूरी कदम है। और यदि किसी की हेपेटाइटिस बी और ए की वैक्सीन नहीं लगी है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार अवश्य लगवाएं।

•             इसके अलावा शराब का सेवन व धूम्रपान की लत छोड़ें, संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और याद रखें स्वस्थ जीवनशैली में अनेक रोगों से बचाव के साथ लिवर का बचाव भी शामिल है।

•             महामारी के इस दौर में कोविड से जुड़े सभी नियमों का पालन करें।

हेपेटाइटिस से बचाव है जरूरी नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के लिवर रोग व लिवर ट्रांसप्लांट फिजीशियन डॉ. राहुल राय ने बताया कि हेपेटाइटिस दरअसल लिवर में होने वाला रोग है जिसमें मूल रूप से लिवर की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है। वायरल हेपेटाइटिस प्रमुखतः 4 प्रकार के होते हैं- हेपेटाइटिस-ए, बी, सी, ई। इनमें हेपेटाइटिस ए और ई अशुद्ध भोजन व पानी के कारण होते हैं, जबकि बी व सी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में दूषित रक्त के संक्रमण से या असुरक्षित यौन संबंध के ज़रिये फैलता है। इस रोग में पीलिया, पेट में पानी आना आदि प्रमुख लक्षण होते है हालांकि कइ मरीजों में शुरूआती अवस्था में मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ महसूस करता है। प्रारम्भिक अवस्था में इस रोग के निदान व समुचित उपचार से मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।

•             मौलिक साफ़ सफाई बनाए रखें और शुद्ध जल का सेवन करें

•             किसी का पहले से इस्तेमाल किया गया ब्लेड, नाक-कान छेदने व टैटू बनाने वाली सुई आदि का इस्तेमाल न करें सुरक्षित रक्तदान करें

•             अभी के दौर में अपना विशेष ध्यान रखें, कोविड संक्रमण से बचाव के सभी नियमों का पालन करें।