उदयपुर, सितम्बर 2021.
बीते कुछ दशकों में ब्रेन ट्यूमर के इलाज के क्षेत्र में बहुत सी आधुनिकताएं
आईं हैं जिनसे बहुत हद तक जोखिम कम हुए हैं। लेकिन चुनौतियां बढ़ जातीं हैं यदि
मरीज़ बहुत छोटा बच्चा हो और ट्यूमर एक दुर्लभ किस्म का हो जो तेज़ी से फैलता हो।
हाल ही में एक ऐसा ही केस पारस जेके अस्पताल में देखने
मिला। दरअसल बीते कुछ समय
से चार साल के तंशु तेज़ सरदर्द और लगातार उल्टियों की समस्या से जूझ रहे थे और उन्हें पारस जेके अस्पताल लाया
गया।एमआरआई व
अन्य ज़रूरी जांच करने पर पता चला कि तंशु के मस्तिष्क में 8 सेंटीमीटर बड़ा एटिपिकल
रेबदोईड टेरटोईड ट्यूमरहै, एक ऐसे प्रकार का ट्यूमर जो बेहद तेज़ी से फैलता है और तकरीबन
10 लाख में से किसी एक में ही देखने को मिलता है। यह उदयपुर में अपनी तरह का पहला केस है। पारस जेके अस्पताल के डॉक्टर
अजीत सिंह, कंसल्टेंट, न्यूरो एंड स्पाइन सर्जरी के अनुभवी निर्देशन में इस
ट्यूमर को सर्जरी के ज़रिये निकाला गया, अब तंशु ठीक हैं।
डॉक्टर अजीत
सिंह, कंसल्टेंट, न्यूरो एंड स्पाइन सर्जरी, पारस जेके
अस्पताल ने बताया, “एटिपिकल रेबदोईड टेरटोईड ट्यूमर की यदि बात
करें तो यह इतनी तेज़ी फैलता है कि मात्र कुछ ही दिनों में इसका आकार दोगुना हो
जाता है। इस केस में ऑपरेशन
में सबसे पहला जोखिम बच्चे की नाज़ुक उम्र को लेकर था, क्योंकि इस उम्र में
एनेस्थीसिया दिया जाना बहुत बड़ा जोखिम था, दूसरा जोखिम बहुत मात्रा में खून बहने
का था, क्योंकि इस प्रकार के ट्यूमर को निकालते वक़्त बहुत मात्रा में खून बहने का
जोखिम होता है और इनती छोटी उम्र में यह स्थिति और बड़ी चुनौतियां खड़ीं कर सकती थी। इसके मद्देनज़र ऑपरेशन के दौरान कुछ यूनिट ब्लड का पहले से
इंतज़ाम किया गया, और बहुत ही सावधानी से पूरा ऑपरेशन किया गया।तीन घंटे चले इस ऑपरेशन में डॉक्टर नितिन कौशिक, डॉक्टर
राजकुमार विश्नोई का भी सहयोग रहा। मैं
धन्यवाद देता हूँ सभी सहयोगी डॉक्टरों, स्टाफ मेम्बर्स का जिनके प्रयासों के कारण
तंशु अब स्वस्थ है।”
ब्रेन ट्यूमर के सन्दर्भ में आम लोगों
में अधिकतर जानकारी उतनी ही है जितनी सिनेमा या धारावाहिकों ने गढ़ी है। जबकि इसका दायरा बहुत व्यापक है। जितना जल्दी इनका इलाज शुरू किया जाए मरीज़ के पूरी तरह से
ठीक होने की संभावना उतनी होती है। कभी भी
लगातार होते सरदर्द, और सरदर्द के साथ उल्टियों के लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें,
तुरंत जांच करवाएं।
श्री
विश्वजीत कुमार, फैसिलिटी डायरेक्टर,पारस जेके अस्पताल कहते हैं,“यह
ट्यूमर और इसकी इलाज प्रक्रिया निश्चित रूप से जटिल और जोखिम भरी रही। हमें तंशु
को ट्यूमर से मुक्त देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है, और हम उसके स्वस्थ जीवन की कामना
करते हैं। पारस जेके अस्पताल का उद्देश्य है कि सभी मरीज़ों को उच्च
गुणवत्ता वाली व आधुनिक स्वास्थय सेवायें उपलब्ध हों और इसके लिए मरीज़ों को महानगरों
की ओर जाने की ज़रूरत न पड़े।