पारस जेके अस्पताल के डॉक्टरों ने किया दुर्लभ स्पाइनल हेमरेज से जूझ रहे मरीज़ का इलाज

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उदयपुर, दिसंबर  2021.

आम तौर पर ब्रेन हेमरेज की समस्या पर बहुत चर्चा होती है, लेकिन स्पाइनल हेमरेज की समस्या और उसकी गंभीरता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। हाल ही में पारस जेके अस्पताल, उदयपुर ने एक दुर्लभ स्पोंटेनियस स्पाइनल हेमरेज से जूझ रहे मरीज़ का इलाज किया। अध्ययन बताते हैं कि यह एक ऐसा केस है जो 10 लाख लोगों में से किसी एक ही व्यक्ति में प्रतिवर्ष इस तरह का हेमरेज पाया जाता है। 

उदयपुर के रहने वाले 63 वर्षीय चन्द्रप्रकाश आमेटा (बदला हुआ नाम) 3 दिसंबर, 2021 की सुबह  को दोनों पैरों में असामान्य कमजोरी का अनुभव हुआ, फिर अचानक वे अपने दोनों पैरों पर खड़े हो पाने में असमर्थ हो गये और यहाँ तक कि उनको पेशाब करने में भी समस्या महसूस होने लगी। उनकी स्थिति की गंभीरता हो देखते हुए उन्हें तत्काल पारस जेके अस्पताल, उदयपुर लाया गया, जहां न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मनीष कुलश्रेष्ठ ने उनकी शुरुवाती जांच व एमआरआई की जिसमें पता चला कि उन्हें स्पोंटेनियस स्पाइनल हेमरेज हुआ है। इसके बाद इंटरवेंशन न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर तरुण माथुर ने क्षतिग्रस्त धमनी का पता लगाने के लिए डीएसए टेस्ट किया जिससे यह पता चला की उनकी किसिस भी मेजर आर्टरी में ब्लीडिंग नहीं थी । 

सभी ज़रूरी जाँच के बाद कंसल्टेंट, न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉक्टर अजित सिंह के अनुभवी निर्देशन में हेमरेज को निकालने की योजना बनाई गई और सर्जरी प्रक्रिया शुरू की गई। मरीज़ को एनेस्थीसिस्ट डॉक्टर नितिन कौशिक ने मरीज़ को एनेस्थीसिया दिया। प्रोसीजर के दौरान केस में मुख्य चुनौती इस बात की थी कि हेमेटोमा (नस के बाहरी हिस्से में बनने वाला खून का थक्का) रीढ़ के ऊपरी भाग से निचले भाग तक फैला हुआ था, जिसमें रीढ़ की हड्डी के 10 खंड शामिल थे (रीढ़ की हड्डी में कुल 33 खंड होते हैं)। ऐसे में सर्जरी की तत्काल आवश्यकता थी और ज़रा सी भी देरी का परिणाम दोनों पैरों में हमेशा के लिए लकवा हो सकता था। 

सर्जरी के दौरान मरीज़ की रीढ़ का हिस्सा चीरे से खोला गया ताकि खून के उस थक्के को निकाला जा सके जिसके कारण रीढ़ पर दबाव बन रहा था। इस दौरान रीढ़ की संरचना के आस-पास की नसों का भी ध्यान रखना एक मुख्य चुनौती थी। सभी तरह की सावधानी अपनाते हुए प्रोसीजर को पूरा किया गया और सर्जरी सफल रही। सर्जरी के तुरंत बाद मरीज़ की हालत में तेज़ी से सुधार देखा गया और वे ठीक अगले दिन अपने पैरों पर खड़े भी हो गये। 

कंसल्टेंट, न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉक्टर अजित सिंह, पारस जेके अस्पताल, उदयपुर बताते हैं, “जिस प्रकार के स्पाइनल हेमरेज से ये मरीज़ जूझ रहा थे ऐसे में तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है नहीं तो मरीज़ जीवन भर लकवे का शिकार हो सकता है, साथ ही इसकी सर्जरी के दौरान बहुत कुशलता व सावधानी की बेहद ज़रूरत होतीं है ताकि रीढ़ के आस-पास की नसों को हानि ना हो। इस तरह के हेमरेज का सटीक कारण बता पाना भी मुश्किल है, लेकिन बहुत से मामलों में माना जाता है कि तेज़ खांसी या छींक के कारण स्पाइन की कोई नस फट जाती है जिसके कारण यह स्थिति हो सकती है।“