जयपुर, दिसंबर 29, 2021.
अक्सर सर्दियों को केवल सर्दी ज़ुकाम, बुखार, वायरल
इन्फेक्शन आदि से जोड़कर देखा जाता है लेकिन इसी मौसम में स्ट्रोक और हृदय रोग जैसे
गंभीर रोगों का खतरा भी बहुत तेज़ी से बढ़ जाता है। ख़ासकर बुज़ुर्ग और पहले से
स्ट्रोक और हृदय रोग की समस्या से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त रूप से सचेत रहने की
आवश्यकता होती है। सर्दियों में रक्त वाहिकाओं का संकुचन स्ट्रोक और हृदय रोग से
सम्बंधित बहुत सी समस्याएं सामने ला सकता है। तो आखिर तापमान गिरते ही ऐसे कौन से
बदलाव होते हैं कि स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है और इनसे बचाव कैसे
सुनिश्चित किया जा सकता है बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ :-
सर्दी से करें बचाव सुनिश्चित, स्ट्रोक का करें जोखिम कम :-
डॉक्टर पृथ्वी गिरी,
कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजिस्ट, नारायणा
मल्टीस्पेशेलिटी अस्पताल जयपुर बताते हैं कि सर्दियों में सभी तरह स्ट्रोक के मामले अन्य दिनों की तुलना
में बहुत तेज़ी पकड़ते हैं। हमारे अनुभव में इस मौसम में ओपीडी में स्ट्रोक से
सम्बंधित समस्याओं का आंकड़ा तकरीबन 10 से 15 फ़ीसदी बढ़ जाता है.यहाँ यह भी समझना
होगा कि सर्दियों में इसके प्रकार भी बदल जाते हैं। आम तौर पर स्ट्रोक के दो प्रकार होते हैं
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नस का बंद होना
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दूसरा नस का फटना (ब्रेन हेमरेज)
और सर्दियों में ब्रेन हेमरेज का जोखिम तुलनात्मक रूप से अधिक बढ़ जाता है। इसकी मुख्य
वजह है कि सर्दियों में रकर वाहिकाएं संकुचन तो करतीं ही हैं साथ ही व्यक्ति केठंड
के संपर्क में आने पर बीपी शूट आउट करता है जिसके कारण हेमरेज का जोखिम बहुत तेज़
बढ़ जाता है।
यहाँ बचाव के तौर पर :-
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सर्द मौसम से खुद को बचा कर रखें. उचित
रूप से तन का ठंड से बचाव करें
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दिन में कम से कम आधा घंटा धूप सेकें, साथ ही धूप में शारीरिक व्यायाम करें
ताकि रक्त वाहिकाओं का संकुचन कुछ कम हो
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नियमित व्यायाम करें और शारीरिक रूप से
सक्रिय रहें. ताकि बीपे को सही रखने में
मदद मिले. बहुत ठंडे मौसम के बजाय धूप में या दिन में तापमान कम होने पर व्यायाम करने
को तरजीह दें.
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स्ट्रोक के मरीज़ अपना बीपी नियमित रूप से
चेक करते रहें.
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अपनी शुगर को भी नियंत्रण में रखने की
कोशिश करें. सम्बंधित डॉक्टर की सलाह पर अपने नियम तय करें।
सर्दियों में हो जाता है सिम्पेथेटिक सिस्टम एक्टिव, बढ़ जाता है हृदय रोग का
जोखिम :-
डॉक्टर अंशुल पटोदिया, कंसल्टेंट, इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट, नारायणा मल्टीस्पेशेलिटी अस्पताल जयपुर बताते हैं दरअसल सर्दियों में तापमान गिरने के साथ हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से
सिम्पेथेटिक सिस्टम एक्टिव हो जाता है जो शरीर का तामपान बढ़ा देता है। हालाँकि इस
प्रक्रिया का मूल काम शरीर का सर्दी से बचाव करना होता है, लेकिन इसके साथ बीपी और
हार्ट रेट बढ़ जाते हैं। ऐसे में जो लोग पहले से बीपी की समस्या, हृदय रोगआदि से
जूझ रहे हैं उन्हें गंभीरता का अतिरिक्त जोखिम होता है, साथ ही एक आम व्यक्ति को
भी सचेत होकर रहने की आवश्यकता होती है। हमारे अनुभव में इन दिनों हृदय रोग से सम्बंधित मामलों के साहत आने वाले
मरीज़ों की संख्या लगभग 20 से 30 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है।इसके अलावा सर्दियों में ऐसे रोगों के अधिक आंकड़ों का कारण
बहुत हद तक निष्क्रिय जीवनशैली, सर्द मौसम में खान पान के साथ लापरवाही, व्यायाम न
करना आदि भी होते हैं।
ऐसे में दो बातों अक मूल रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है
:-
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बीपी को नियंत्रण में रखने की कोशिश
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डाइट और सक्रिय जीवनशैली का ध्यान रखना
इसके अलावा ठंड से उचित बचाव सुनिश्चित करें और नियमित व्यायाम करें। पहले से हार्ट
अटैक की समस्या से जूझ चुके लोग अपना विशेष ध्यान रखें, अपने सम्बंधित डॉक्टर की
सलाह लेते रहें।