उदयपुर, जनवरी 2022.
डॉक्टर अमित खंडेलवाल, डायरेक्टर एंड हेड,कार्डियोलॉजी,
पारस जेके अस्पताल
सर्द
मौसम के आते ही अक्सर सर्दी-जुकाम, इन्फेक्शन, वायरल आदि का जोखिम बढ़ जाता है
जिसके प्रति अक्सर लोगों को सजग भी देखा गया है, लेकिन इसी सर्द मौसम में हृदय
सम्बंधित समस्याओं का भी जोखिम बढ़ जाता है जिसके प्रति सचेत रहना बेहद आवश्यक है,
खासकर पहले से हृदय रोग से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
क्यों बढ़ जाता है सर्दियों में हृदय रोग का खतरा :-
दरअसल
वातावरण में गिरते तापमान के साथ हमारे शरीर की रक्त वाहिकाएं (नाड़ियां) भी
प्राकृतिक रूप से सिकुड़ती हैं, और इस प्रक्रिया में बीपी अनियमित होने का जोखिम बढ़
जाता है जिसके कारण हृदय गति प्रभावित होती है। ऐसे में हृदय सम्बंधित समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।साथ ही ऐसे मेंब्लड शुगर बढ़ने और खून गाढ़ा होने की संभावना
बढ़ जाती हैजिसके कारण :-
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बीपी के मरीज़
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डायबिटीज के रोगी
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अत्यधिक मोटापे से जूझ रहे लोग
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श्वसन सम्बंधित समस्याओं से जूझ
रहे लोग
उपरोक्त
श्रेणी में आने वाले लोगों को सर्द मौसम में हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ने के कारण
हृदय रोग की भी आशंका बनी रहती है।
इसके
अलावा देखा गया है कि सर्द मौसम में व्यापक रूप से सुस्त जीवनशैली के कारण भी बहुत
से लोग सक्रिय जीवनशैली और व्यायाम आदि से दूरी बना लेते हैं, सही समय पर भोजन भी
नहीं लेते, जिसके कारण अनियमित रक्तचाप, मोटापा और इनके कारण हृदयरोग का जोखिम बना
रहता है। इन दिनों कोविड महामारी के दौरान
ऐसे व्यवहार में इजाफा देखने को मिला, क्योंकि सक्रमण से बचाव के लिए अधिक से अधिक
घरों में रहने की हिदायत थी और समय-समय पर लॉकडाउन भी लगाए गए जो कि कोविड से बचाव
के लिए ज़रूरी कदम हैं, लेकिन इस दौरान ख़ासकर सर्दियों में निष्क्रिय जीवनशैली,
खान-पान में लापरवाही में व्यापक रूप से बढौतरी देखी गई। साथ ही सर्द मौसम में बहुत से लोग उचित मात्रा में पानी व
अन्य ज़रूरी तरल पदार्थों का भी सेवन नहीं करते जिसके कारण बीपी प्रभावित होता है।
पहले से हृदयरोग से जूझ रहे लोग :-
ऐसे लोग
जो पहले से हृदय सम्बंधित समस्या से जूझ रहे हैं उनके लिए जोखिम निश्चित रूप से
बहुत बड़ा है।इस समूह में आने वाले बहुत से ऐसे
मरीज़ हैं जिनकी सर्जरी भी हो चुकी है,एंजियोग्राफी हो चुकी है, स्टेंट लगा हुआ है,
हृदयाघात से जूझ चुके हैं। निश्चित रूप से ऐसे में ठंड के
कारण रक्तवाहिकाओं का सुकुड़ना और खून का गाढ़ा होना अतिरिक्त जोखिम लेकर आ सकता है।
किन बातों पर दें ध्यान :-
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सर्द मौसम में सुबह सुबह के समय हार्ट अटैक के केसेस काफी
संख्या में देखे जाते हैं, ख़ासकर सुबह के 4 बजे से लेकर 12 बजे के दौरान। 70 फ़ीसदी
हार्ट अटैक इस दौरान होते हैं, जिसका कारण है सर्केडियन रिदम वेरिएशन।
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दूसरा कारण सर्दियों में दिन के वक़्त की रौशनी और अँधेरे के
समय में बदलाव जिसके कारण कौर्टिजोल जैसे हारमोन्स में हार्मोनल इम्बैलेंस हो सकता
है जो हार्ट अटैक की वजह बन सकते हैं।
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स्मॉग के बढ़ते स्तर के कारण हवा
में पार्टिकुलेट मैटर के बढ़ने के कारण हार्ट अटैक का जोखिम हो सकता है। अध्ययन गवाह है कि बीते वर्षों में हृदयाघात के कारण होने
वाली मृत्यु की संख्या में इसी कारण तकरीबन 69 फ़ीसदी इजाफा हुआ है।
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गर्म मौसम में तकरीबन 250 से 300
मिलीलीटर तरल पसीने के रूप मेंशरीर से खपत होती है जिसके कारण शरीर में तरल का
स्तर उचित होने में मदद मिलती है लेकिन सर्द मौसम में यह प्रक्रिया प्रभावित होने
के कारण बीपी सम्बंधित समस्याएं बढ़ सकतीं और सर्द मौसम में बढ़ती बीपी समस्याओं का
यह कारण ज्यादा देखा गया है।
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सर्द मौसम में वायरल इन्फेक्शन की
सम्भावना अधिक होती है जो वास्कुलर
इन्फ्लेमेशन के जोखिम को बढ़ा देती है जिसके कारण हार्ट अटैक की दर बढ़ती है।
कैसे सुनिश्चित करें बचाव :-
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नियमित व्यायाम करें। यदि पहले से किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहे है तो
सम्बंधित डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह पर व्यायाम के नियम तय करें।लेकिन शारीरिक सक्रियता बनाए रखें।
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वजन को नियंत्रण में रखें।बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) के अनुसार अपना वजन रखने का
प्रयास करें।
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सर्द मौसम में सुबह के बजाय धूप
निकल जाने पर सैर व व्यायाम की योजनायें बनाएं।
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उचित मात्रा में पानी व तरल
पदार्थों का सेवन करें।
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हृदय रोगी विशेष रूप से सर्दियां
शुरू होते ही अपना एक ओवर-आल चेक अप करवाएं और बीपी का स्तर सामान्य रखने की कोशिश
करें, और सर्दियां जाते जाते अपना ठीक वही चेक-अप दोबारा करवाएं। इस प्रकार रोग को
मौसम के अनुसार नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
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भोजन में उचित मात्रा में फाइबर
लें, सलाद, हच्ची हरी सब्ज़ियां जोड़ें।
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ठंड से उचित बचाव सुनिश्चित करें.
गर्म कपडे पहने. ठंडे वातावरण के सीधे संपर्क में आने से बचें।
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यदि पहले से हृदय रोग से जूझ रहे
हैं तो सम्बंधित डॉक्टर के संपर्क में रहें. अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
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किसी मामूली लक्षण को भी नज़रअंदाज़
न करें. डॉक्टर से तुंरत परामर्श लें।