राजस्थान में पहली बार दर्ज हुआ 101 वर्षीय बुजुर्ग महिला को पेसमेकर लगाने का नया कीर्तिमान

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उदयपुर, जनवरी  2022.

राजस्थान में पहली बार पारस जेके अस्पताल में 101 वर्षीय महिला को पेसमेकर लगाकर नया जीवन दिया गया। राजस्थान में ऐसा ये पहला केस दर्ज हुआ है जहां इतनी अधिक आयु में किसी मरीज़ को पेसमेकर लगाया गया हो जो कि खुद में एक बहुत बड़ा चुनौती पूर्ण था। जिसे पारस जेके हॉस्पिटल उदयपुर के डायरेक्टर एंड हेड- कार्डियोलॉजी डॉ अमित खंडेलवाल ने बेहद कुशलतापूर्वक इम्प्लांट किया। बुजुर्ग महिला अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल डिस्चार्ज भी कर दिया गया है।  उम्रदराज लोगो मे पेसमेकर लगाने का देश का यह तीसरा रिपोर्टेड केस है।

 
रिद्म खराब होने पर लगाया गया पेसमेकर
 
पारस जेके अस्पताल के डायरेक्टर एंड हेड- कार्डियोलॉजी डॉ अमित खंडेलवाल ने बताया कि ये बुजुर्ग महिला पिछले सप्ताह अस्पातल आई थीं। उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था, घबराहट, चक्कर और उल्टी रही थी। हमने उनकी हार्ट रेट चेक की जो कि 36 प्रति मिनट थी, बीपी 140/90 था। वहीं ईसीजी में हार्ट रिद्म में कंप्लीट हार्ट ब्लाक निकला था यानि उनके नेचुरल पेसमेकर ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें तुरंत हम कैथेलेब ले गए, जहां उन्हें पहले टेम्पररी पेसमेकर लगाया गया। दूसरे दिन टेम्पररी पेसमेकर निकालकर परमानेंट पेसमेकर लगा दिया गया। तीसरे दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सरस्वती देवी जी के परिवार के सदस्य ने बताया की  वह अपने समय की विख्यात संगीतज्ञ रही हैं और उनकी सटीक उम्र का पता वर्ष 1935 में सरकार की ओर से मिले एक मेडल के आधार पर लगाया गया। उनकी आयु उस समय 14 साल थी। जिससे उनकी उम्र की गणना की गई उसके आधार पर इस समय उनकी उम्र 101 वर्ष है।

 
पेसमेकर का कोई विकल्प नहीं

डॉ अमित ने बताया कि बुजुर्ग महिला का 10 साल पहले यानि 91 की आयु में दायें आर्टरी की एंजियोप्लास्टी हुई थी। हमने चेक एंजियोग्राफी के जरिये पता लगाया। उनका स्टेंट अच्छे से काम कर रहा था। उनकी बाकी की दोनों नाड़ियों में कुछ ब्लाकेज था किंतु उनकी उम्र को देखते हुए हमने दवा से ही ठीक करने का निर्णय लिया। अगर उन्हें पेसमेकर नहीं लगाया जाता तो उनके जीवन पर भी संकट सकता था क्योंकि कम हार्ट रिद्म को सही करने के लिए अभी तक मेडिकल साइंस में लंबे समय के लिए कारगर कोई दवा नहीं बनी है। फिलहाल इतनी उम्रदराज महिला को पेसमेकर लगाने का राजस्थान का यह पहला मामला दर्ज हुआ है।

 
किन्हें होती है पेसमेकर की जरूरत
 
पेसमेकर बढ़ती हुई उम्र की समस्या है। विश्व 0.04 लोग हार्ट के रिदम के ब्लॉक की समस्या से ग्रसित हैं। ऐसे लोगों को पेसमेकर की आवश्यकता पड़ रही है।
पेसमेकर से संबंधित दिक्कत सबसे ज्यादा 55 से 60 वर्ष के बाद होती है। तकरीबन 5 से 8 प्रतिशत 40 वर्ष के बाद और तीन प्रतिशत मामलों में ये लगभग 40 से कम आयु वर्ग के लोगों में देखा गया है। डॉ अमित एक 29 साल की युवती और 32 साल के युवक को पेसमेकर लगा चुके हैं।

 
क्या थी जटिलता

डॉ अमित बताते हैं कि इतनी ज्यादा उम्र में पेसमेकर लगाना चैलेंजिंग होता है। इसमें वेन्स घुमावदार हो जाती हैं। लीड को हार्ट तक ले जाना बड़ा चैलेंज था। पेसमेकर को लगाने के लिए शरीर मे कालर बोन से नीचे दो इंच का एक चीरा लगाया गया और दिल में 2 लीड्स इंसर्ट किए गए और उसे पेसमेकर से जोड़ दिया गया। हालांकि लोकल एनीस्थिसिया के तहत इस प्रक्रिया को करना एक चुनौती था और रोगी को पूरी तरह से बेहोश नहीं किया गया था। लेकिन, हम इसे पूरा करने में सफल रहे।