कोक्लियर इंप्लान्ट सर्जरी: बुढ़ापे में बहरेपन से छुटकारा पाने का एक बेहतरीन विकल्प

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बुढ़ापा मानव जीवन का एक ऐसा पड़ाव है, जिसमें व्यक्ति कई बीमारियों से घिर जाता है। एक बूढ़े व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से भरा होता है, जहां उसके दांत टूट जाते हैं, सबकुछ धुंधला दिखाई देता है, कम सुनाई देता है, कमर झुक जाती है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ईएनटी और कोक्लियर इंप्लान्ट सर्जरी के मुख्य सलाहकार, डॉक्टर सुमित मृग ने बताया कि, बुढ़ापे में लगभग हर व्यक्ति की सनाई देने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। दरअसल, बुढ़ापे में कान के पर्दे कमजोर हो जाते हैं, जहां कोक्लिया की कोशिकाएं कमजोर पड़ने के कारण सुनने में समस्या आती है। यह समस्या 50, 60 या 70 किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है। एक बार ये समस्या शुरू हो जाए तो इसे तुरंत रोक पाना संभव नहीं होता है। किसी की बात को सुनने में समस्या, रेडियो या टीवी को पहले की तुलना में तेज आवाज़ में सुनना, फोन पर बात करने में समस्या आदि सब इसके लक्षण हैं।

हालांकि, यह एक बुजुर्गों वाली समस्या है लेकिन ईएनटी (कान, नाक, गला) विशेषज्ञ से जांच कराना आवश्यक होता है। आज, इससे जुड़े कई ऐसे विकल्प हैं, जिससे बुजुर्गों के लिए सुन पाना संभव हो गया है। इसके लिए पहले व्यक्ति को 2 टेस्ट करवाने पड़ते हैं। ईएनटी विशेषज्ञ दोनों टेस्टों की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को किस विकल्प की आवश्यकता है।

डॉक्टर सुमित मृग ने आगे बताया कि, आमतौर पर, इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सुनने की मशीन दी जाती है। हालांकि, इस मशीन के जरिए कई बुजुर्गों को लाभ मिला है, लेकिन यह कुछ हद तक ही काम करती है। यदि कान के पर्दे पूरी तरह से खराब हो गए हैं तो ऐसे में उचित इलाज के साथ कोक्लियर इंप्लान्ट की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया में, सर्जरी की मदद से मरीज के अंदरूनी कान में एक मशीन लगाई जाती है, जो कान के बाहर लगाई गई मशीन की मदद से चलती है। बाहर लगाई गई मशीन को किसी भी वक्त उतारा या पहना जा सकता है। कोक्लियर इम्प्लांट डिवाइस मेडिकल उपकरण होते हैं जो कान की कोशिकाओं को उत्तेजित करने के लिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल का उपयोग करते हैं जिससे मरीज को सुनने में सहायता मिलती है।