Jaipur, March 2021.
महान
हस्तियाँ सही कहतीं हैं कि प्रेम के कारण ही यह दुनिया जीने लायक है और खूबसूरत
भी। अक्सर असल जीवन में हमारे सामने प्रेम की ऐसी बेमिसाल कहानियां आतीं हैं कि
सुनकर यकीन ही नहीं होता, कि वें हमारे आसपास ही घटित होने वाली
इतनी प्रेरणादायक कहानियां हैं। यह कहानी है बेमिसाल पति पत्नी के जोड़े राखी कौर
और कुलदीप सिंह की। 31 वर्षीय राखी 4 साल से सी.के.डी. यानी गंभीर किडनी रोग से जूझ रहीं थी और
बीते जून में उनकी दोनों किडनियां पूरी तरह से खराब हो गई, जिसके चलते कुलदीप ने उनको अपनी एक किडनी देने का फैसला
किया। वैलेंटाइन डे के दिन डोनर के रूप में अस्पताल में भर्ती होकर कुलदीप ने अपनी
पत्नी को एक नई जिन्दगी का तोहफा दिया। उन्होने यह सफर बहुत सारी व्यक्तिगत एवं
आर्थिक समस्याओं का सामना करते हुए पूरा किया जो उनकी इस कहानी को और भी
प्रेरणादायक बनाता है। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल कुमार कस्वाँ
के नेतृत्व में किडनी ट्रांसप्लांट की गई। दंपत्ति अब स्वस्थ है एवं सामान्य जीवन
में धीरे-धीरे लौट रहे हैं।
राखी और
कुलदीप की शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं और लगभग चार वर्ष पहले
राखी गंभीर किडनी रोग की चपेट में आ गई थी, लेकिन सही खानपान एवं नियमित डॉक्टर परामर्श
के चलते उनका क्रिएटिनीन एवं यूरिया लेवल संतुलित रहा जिसे देखकर डॉक्टर्स भी काफी
खुश थे। लेकिन फिर अचानक कोविड काल के दौरान खानपान में गड़बड़ी एवं डॉक्टर्स
विजिट्स पर न आने की वजह से राखी के गुर्दे पूरी तरह से खराब हो गये और स्थिति यह
आ गई कि डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही उपचार विकल्प बचा। किडनी ट्रांसप्लांट
का मानस तो दंपत्ति ने शुरूदिन ही बना लिया था लेकिन एक के बाद एक आर्थिक एवं
व्यक्तिगत समस्याऐं आती गई जिसके कारण ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में देरी होती
चली गई। कोरोना काल एवं घर के हालात के चलते कुलदीप नौकरी नही कर पा रहे थे जिसके
कारण दंपत्ति को काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी दौरान कुलदीप के
पिता की आकस्मिक मृत्यु भी हो गई जिसके कारण दंपत्ति डिप्रेशन में भी आ गये थे।
कुलदीप और राखी को दो बार कोविड संक्रमण भी हो गया था जो खासकर एक गुर्दा रोग से
पीड़ित मरीज के लिए घातक हो सकता है। यह पूरा दौर निश्चित रूप से कठिनाइयों भरा और
तनावपूर्ण था लेकिन इस पूरे सफ़र में राखी और कुलदीप ने मिलकर स्थितियों का सामना
किया और हार नहीं मानी। 14 फरवरी को भर्ती होकर कुलदीप ने अपनी
संगिनी को जिन्दगी का सबसे बड़ा तोहफा दिया और 16 फरवरी को ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया।
डॉ. कमल
कुमार कस्वाँ, सीनियर गुर्दा रोग विशेषज्ञ, नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर ने कहा कि, एक किडनी रोग से जूझ रहे व्यक्ति के लिए
ज़रूरी होता है उसकी जीवनशैली व उचित खान पान के ज़रिये क्रिएटिनीन एवं यूरिया को
संतुलित रखा जाए। कुलदीप ने इस दौरान राखी का खूब ख्याल रखा और उनका क्रिएटिनीन
बहुत अच्छी तरह से मेन्टेन रहा, इसके लिए कुलदीप बेशक सराहना के पात्र
हैं। उसके बाद भी जब अन्य कारणों से राखी की स्थिति बिगड़ गई और किडनी ट्रांसप्लांट
का एकमात्र विकल्प बचा, वें बिना झिझक इसके लिए तैयार थे। साथ ही
पूरे प्रोसीजर के दौरान दोनों पति पत्नी की विल पॉवर या कहें इच्छा शक्ति बहुत दृढ़
थी, जिससे हरेक मरीज़ को सीखना चाहिए।
दुर्घटनाएं व जीवन की बहुत सी समस्याएं हमारे हाथ में नहीं होतीं लेकिन उनसे सामना
करने का तरीका हमारे पास जरूर होता है। हमें बेहद खुशी है कि राखी अब एकदम ठीक है
और दोनों पति पत्नी अब धीरे धीरे सामान्य जिंदगी में लौट रहे हैं।