जयपुर, जून 2021.
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की ऑर्थोपेडिक टीम ने सफलता का एक और मुकाम
हासिल किया है। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. हेमेन्द्र अग्रवाल ने लगभग बिस्तर पर आ चुके
मरीज की सफल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कर उन्हें दोबारा चलने-फिरने लायक बना दिया। 125 किलो वजनी मरीज की पूर्व में हिप सर्जरी हो चुकी थी
(अन्य केन्द्र में) जो सफल नहीं रही थी जिसके कारण उन्हे दो कदम चलने में भी बेहद
दर्द का अनुभव होता था। यह सर्जरी मिनिमली इंवेसिव तकनीक द्वारा की गई।
रेलवे में कार्यरत 57 वर्षीय श्याम
शर्मा एक ज़माने में एथलिट रह चुके हैं। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया शारीरिक गतिविधि
में कमी, बढ़ती उम्र और
अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उनका वजन बढ़ने लगा। लगभग चार साल पहले वे अपनी
बिल्डिंग की सीढ़ियों से फिसल कर गिर गए और उनको हिप फ्रैक्चर हो गया, जिसके चलते एक केंद्र पर उनकी हिप की सर्जरी की
गई जो कि कामयाब नहीं रही। जैसे जैसे वक्त बीतता गया उनके हिप के जोड़ खराब होते
चले गए और आर्थराईटिस से ग्रस्त हो गये। दर्द के कारण उनका बाथरूम आदि जाना भी
मुश्किल हो चला था और वे तकरीबन बिस्तर पर आ चुके थे। श्याम इस बात को जानते थे कि
उन्हें हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की ज़रूरत है, जिसके चलते उन्होंने बहुत से डॉक्टरों से संपर्क
भी किया, लेकिन उनके
अत्याधिक वजन और अन्य शारीरिक समस्याओं के चलते कोई भी उनको सफल सर्जरी के लिए
आश्वस्त नहीं कर पाया। परिणामस्वरूप श्याम शर्मा की स्थिति
बिगड़ती चली गई।
फिर श्याम नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर आये। यहाँ ऑर्थोपेडिक, जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड स्पोर्ट्स आर्थ्रोस्कोपी
सर्जन डॉ. हेमेन्द्र अग्रवाल ने उनके पूरे
केस का अध्ययन किया और मेडिकल हिस्ट्री की जांच की। डॉ. हेमेन्द्र ने श्याम को सफल
सर्जरी के लिए आश्वस्त किया और विश्वास दिलाया कि वे दोबारा से बिना किसी तकलीफ के
चल फिर सकेंगे। श्याम की स्थिति के अनुसार उनकी डूअल मोबिलिटी हिप रिप्लेसमेंट
सर्जरी (मिनिमली इंवेसिव तकनीक द्वारा) की गई जो पूरी तरह से सफल रही। सर्जरी के
अगले ही दिन श्याम सहारे से चलने लगे और एक महीने के अंतराल में अच्छी
फिजियोथेरेपी और रीहैब के साथ वे बिना किसी परेशानी या दर्द के चलने फिरने लगे और
अपने दैनिक काम भी करने लगे। यह निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी कामयाबी थी, ख़ासकर एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो कुछ समय पहले
बिना दर्द के दो कदम भी नहीं चल पाते थे।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के ऑर्थोपेडिक्स, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी
विशेषज्ञ डॉ. हेमेंद्र अग्रवाल ने कहा कि हमें खुशी है कि हम मरीज को उसके पैरों पर फिर से खड़ा
कर सके। स्पष्ट रूप से इस सर्जरी में सर्जिकल चुनौतियां एवं जोखिम शामिल थे
क्योंकि शरीर में अतिरिक्त वसा और पिछली सर्जरी का इतिहास वर्तमान सर्जरी को
मुश्किल बना देता है। अत्याधिक वजन एवं रिविजन सर्जरी होने के कारण इस केस में
अत्याधिक रक्त स्त्राव का भी जोखिम था। लेकिन ऐसे मामले यह भी दिखाते हैं कि अगर
सर्जरी एक अनुभवी सेन्टर में एक दक्ष सर्जन द्वारा की जायें तो सभी जोखिमों को
अच्छी तरह से मैनेज किया जा सकता है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की जोनल क्लिनिकल डायरेक्टर, डॉ. माला ऐरन ने कहा कि, मरीजों को चुपचाप दर्द नहीं सहते रहना चाहिए, क्योंकि इस तरह की सर्जरी में देरी करना प्रतिकूल
हो सकता है। हम ऐसे मरीज़ों को यह सदेश देना चाहते हैं कि वे सही समय पर इलाज
करवाएं क्योंकि इसके जरिये जीवन की बेहतर गुणवत्ता को
सुनिश्चित किया जा सकता है और मरीज जल्दी ठीक हो सकता है।