बिस्तर पर आ चुकी 70 वर्षीय महिला का हुआ घुटनों का जटिल जोड़ प्रत्यारोपण, फिर से चलने फिरने लायक बनाया

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भय, भ्रांति और अज्ञानता की वजह से लोग सही समय पर आर्थराइटिस का इलाज नही करवाते एवं स्थायी विकलांगता की स्थिति में चले जाते है। ऐसे ही एक बिस्तर पर आ चुकी मरीज के दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण कर उसे फिर से चलने योग्य बना दिया नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. विजय शर्मा व उनकी टीम ने। मरीज के जोड़ बनाने वाली हड्डी में भयंकर डिफेक्ट्स हो चुके थे, बोन (हड्डी) का एक हिस्सा टूट कर अलग हो चुका था, साथ ही मरीज को ऑस्टियोपोरोसिस की भी शिकायत थी जो इस केस को बेहद जटिल बना रही थी। सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए टीम ने आधुनिक सर्जिकल तकनीक एवं इम्पलांट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर मरीज को दो दिन में चलने योग्य बना दिया।

नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि 70 वर्षीय महिला विगत कई वर्षों से दोनों घुटनों की ओस्टियो आर्थराइटिस से ग्रसित थी। ऑपरेशन के भय और भ्रांति की वजह से व ऑपरेशन नही करवा पाने की वजह से बिल्कुल विकलांगता की स्थिति में आ चुकी थी। उसके लिए खड़ा होना या 2 कदम भी चलना असंभव हो गया था। जाँच करने पर पाया गया कि मरीज की हड्डियों में जटिल फ्लेक्सन और वारस विकृती थी। जोड़ को बनाने वाले बोन - टिबिया के condyle का पिछला हिस्सा टूट कर अलग हो चुका था साथ ही हड्डी की ऑस्टियोपोरोसिस केस की जटिलता को बढ़ा रही थी। डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि इस जटिल केस में कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना बहुत ज्यादा थी। इस तरह के केस में डिफेक्ट मैनेजमेंट के साथ लिगामेंट बैलेंसिंग बहुत कठिन होता है। लेकिन उचित प्लानिंग के साथ सटीक बोन कट्स मोड्यूलर इम्प्लांट्स के पार्ट्स के अपसाइजिंग और डाउनसाइजिंग के साथ डिफेक्ट को गैप बैलेंसिंग के साथ मैनेज किया गया। ऑपरेशन के दूसरे दिन से मरीज चल पा रही है। इस सर्जरी में डॉ विजय शर्मा के साथ डॉ. मनीष गुप्ता एवं डॉ. लक्ष्मीकांत अग्रवाल का भी सहयोग रहा।