उदयपुर, अगस्त 2021.
हाल ही में पारस जेके अस्पताल, उदयपुर ने
नैनोटेकनोलॉंजी से स्पाइन सर्जरी करके इतिहास रच दिया और भारत का पहला ऐसा अस्पताल
बन गया जिसने नैनोटेकनोलॉंजी से स्पाइन सर्जरी की। 78 वर्षीय शीला (बदला हुआ नाम) के लिए इस
उम्र में स्पाइन सर्जरी बहुत जोखिम भरी साबित हो सकती थी। दरअसल आम तौर पर स्पाइन
सर्जरी में रीढ़ के पूरे हिस्से को खोलना, मांसपेशियों को हटाना और फिर समस्या वाले
हिस्से में पहुँचना शामिल होता है, साथ इसके बाद मरीज को महीनों दर्द में
रहना पड़ सकता है जो शीला जी की उम्र व तकलीफ को देखते हुये जोखिम भरा साबित हो
सकता था। लेकिन नैनोटेकनोलॉंजी से होने वाली स्पाइन सर्जरी में एक मामूली से छेद
के जरिये समस्या के हिस्से में पहुँचकर उसे ठीक किया जा सकता है, और जोखिम भी
बेहद कम होता है। पारस जेके अस्पताल, उदयपुर के अनुभवी व
कुशल डॉक्टर अमितेन्दु शेखर,कंसल्टेंट, न्यूरो एंड
स्पाइन सर्जरी के निर्देशन मेंशीला जी पर यह सर्जरी की गई, इसमें डॉक्टर
नरेश कुमार गोयल, कंसल्टेंट एनेस्थीसियोलॉजी ने सहयोग किया। सर्जरी कामयाब रही, और शीला जी
फिर से बिना किसी तकलीफ के चलने फिरने लायक हो गईं।
शीला जी बीते 8-10 वर्षों से टांगों में
दर्द की समस्या से बहुत परेशान थीं। असहज कर देने वाले इस दर्द के लिए शीला जी ने
बहुत सी जगहों से इलाज करवाया जिसके तहत उनको दवाएं दी जातीं थीं लेकिन लंबे समय
के लिए कोई आराम नहीं हुआ। वक़्त गुजरने के साथ समस्या बढ़ती गई और शीला जी की बांईं
टांग में कमजोरी विकसित हो गई, साथ ही उनकी पेशाब पर नियंत्रण की क्षमता भी चली गई। इसके
बाद उन्हें पारस जेके अस्पताल, उदयपुर लाया गया। पारस
जेके अस्पताल, उदयपुर में सभी ज़रूरी जांच के बाद पता चला कि शीला जी को स्लिप
डिस्क की समस्या थी और रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में नसों पर दबाव बन रहा था।
यही कारण था जिसकी वजह से उनके पेशाब करने की क्षमता पर असर पड़ा था और उनके बांईं
टांग में कमजोरी पैदा हो गई थी। पारस जेके अस्पताल में समस्या की गंभीरता
को देखते हुए उन्हें नैनोटेकनोलॉंजी वाली स्पाइन सर्जरी एक कारगर विकल्प बताया
गया।
प्रोसीजर के बारे में बताते हुये डॉक्टर
अमितेन्दु शेखर, कंसल्टेंट, न्यूरो एंड स्पाइन
सर्जरी, पारस जेके अस्पताल, उदयपुर ने कहा,“यह एक बहुत
कारगर तकनीक है। शीला जी की इस सर्जरी के दौरान बड़ी चीर फाड़
के बजाय हम एक प्रकार की ड्रिल से मात्र एक मामूली से छेद करके सीधे रीढ़ के समस्या
वाले हिस्से में पहुंचे और स्लिप डिस्क को हटाकर नैनोलॉक इंटरवर्टेबल बॉडी केज को
लगाया गया और नसों को दबाव से मुक्त किया गया। और यही लगाने वाले हम देश के पहले
अस्पताल बने हैं। इसके साथ ही इस प्रोसीजर में एक प्रकार का बोन मोरफोनिक प्रोटीन
भी डाला जाता है जो हड्डी के साथ विकसित हो जाता है और आकार के अनुसार फिट हो जाता
है। इस प्रोसीजर में मरीज को कम से कम दर्द का सामना करना पड़ता है। शीला जी अब
अपने अधिकतर काम बिना दर्द के करने में सक्षम हैं। साथ ही उनकी खोई हुई पेशाब पर
नियंत्रण की क्षमता भी वापस आ गई जिसके कारण उनको बहुत कष्ट होता था। हमें शीला जी
की सेहत में सुधार देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है। मैं अपनी टीम को धन्यवाद कहना
चाहूँगा जिनके सहयोग से यह प्रोसीजर कामयाब रहा।“
पारस जेके अस्पताल, उदयपुर के बाद भारत
में संबन्धित डॉक्टरों की सलाह पर व्यापक पैमाने पर इस तकनीक का इस्तेमाल होना
चाहिए जिसके परिणाम इतने संतोषजनक होते हैं।