जयपुर, सितम्बर, 2021.
डॉ. अरविंद मायाराम,
आर्थिक सलाहकार, सीएमओ, राजस्थान
ने एक ऑनलाइन इवेंट में ‘राजस्थान में किशोरों के यौन और प्रजनन
स्वास्थ्य में निवेश पर रिटर्न' अध्ययन जारी किया । ये अध्ययन
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा
कराया गया है।
राजस्थान में किशोरों से जुड़े आकड़ों के
आधार पर, अध्ययन में उनके
सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है और राज्य में एकीकृत किशोर
स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए सुझाव दिये। राज्य की कुल जनसंख्या में किशोरों
की संख्या लगभग 23 प्रतिशत है। उनमें से कई गरीबी, सामाजिक भेदभाव, सामाजिक मानदंडों, अपर्याप्त शिक्षा, कम उम्र में शादी और कम उम्र में मां
बन जाने और विशेष रूप से वंचित वर्ग से जुड़े किशोरों को
अपने स्वास्थ्य संबंधित विकास की दिशा में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता ।
कार्यक्रम का संचालन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी
निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने किया। वेबीनार में इस अध्ययन के निष्कर्ष और नीतिगत सुझाव सा की प्रस्तुति, जाने-माने स्वास्थ्य अर्थशास्त्री और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. बरुन कांजीलाल द्वारा की गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद मायाराम
ने कहा, "यह
रिपोर्ट देश में किशोरों के स्वास्थ्य की वास्तविकता को रेखांकित करने के लिए
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा एक अग्रणी प्रयास है। भारतीय आबादी का 21%
हिस्सा किशोर हैं और यह विशाल समूह देश को अभूतपूर्व अवसरों के
साथ-साथ चुनौतियों भी प्रदान करता है। "भारत
जनसांख्यिकीय लाभांश की स्तिथि का अधिकतम लाभ उठा ककर अगले
20-25 वर्षों के लिए वैश्विक आर्थिक विकास में सबसे आगे हो
सकते हैं”
डॉ. मायाराम ने सुझाव दिया कि स्वयं सेवी संस्थाओं और सरकारों को
मानकों और दिशानिर्देशों को विकसित करके सेवाओं की गुणवत्ता और एकरूपता में सुधार
के लिए कार्य करना चाहिए। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया जैसे संगठनों को किशोर
अनुकूल स्वास्थ्य क्लीनिक जैसे कार्यक्रमों को पायलट करना चाहिए और स्केल-अप के
लिए सरकार के साथ अनुभव साझा करने चाहिए। किशोरों के लिए निष्पक्ष स्वास्थ्य सेवाओं की बात करते हुए,
उन्होंने टिकाऊ और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन पर शोध करने की
आवश्यकता पर जोर दिया ताकि पर्यावरण पर हो रहे प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सके।
पूनम मुत्तरेजा ने बताया कि “स्वस्थ और कामकाज में सक्षम
जनसंख्या आर्थिक विकास में वृद्धि की कुंजी है। भारत में करीब 25.3 करोड़ जनसंख्या किशोर-किशोरियों की है और निकट भविष्य
में हम वैश्विक जनसांख्यिकीय विकास में सबसे बड़े अकेले योगदानकर्ता होंगे। राजस्थान
में किशोर जनसंख्या 1.57 करोड़ है जो राज्य की जनसंख्या का
23 प्रतिशत है। यानि राजस्थान का हर चौथा व्यक्ति किशोर है। इस परिदृश्य
का प्रभाव अधिकतम हो सके, इसके लिए हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए
कि, हमारी आबादी में कामकाज के लिए सक्षम उम्र वाले लोग स्वस्थ,
साक्षर हों और उनके पास सभी संसाधन उपलब्ध हों। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ
इंडिया द्वारा ये अध्ययन, राजस्थान
की जनसंख्या का अधिकतम लाभ उठाने की दिशा में किशोर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में निवेश
के आर्थिक, स्वास्थ्य संबंधित और सामाजिक लाभों का अनुमान लगाने
के उद्देश्य से किया गया है। हमें उम्मीद है कि इस अध्ययन
के साथ ही आज हुए इस पैनल डिस्कशन से मिले सुझाव, हमारी युवा
जनसंख्या पर निवेश करने की आवश्यकता और रणनीतियों पर बेहतर समझ प्रदान करेगी।”
इस अवसर पर COVID-19 के संदर्भ में किशोर स्वास्थ्य और हितों के बदलते परिदृश्य
पर एक पैनल डिस्कशन भी आयोजित किया गया। इसका संचालन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया
की दिव्या संथानम ने किया। इस दौरान
कई ब्यूरोक्रेट्स, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, शिक्षाविद्, मीडिया प्रतिनिधि और पार्टनर एनजीओ के प्रतिनिधि
मौजूद थे।