युवाओं में हार्ट अटैक, एक बढ़ती चिंता का विषय

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आज के सोशल मीडिया के युग में अलग अलग प्लेटफॉर्म्स के ज़रिये बहुत से जुझारू युवा  फिट रहने को प्राथमिकता देते नज़र आते हैं।यह एक सकारात्मक पहलू है कि युवाओं में फिट रहने का बढ़ता प्रोस्त्साहन देखा जाता हैलेकिन इसी कड़ी में युवाओं में हार्ट अटैक के आंकड़े भी चिंताजनक हैं। एक अध्ययन के अंतर्गत किये गए सर्वे के अनुसार पहले हार्ट अटैक के 35 फ़ीसदी मामले 35 वर्ष से कम आयु के लोगों में देखे गए, इसके साथ ही बीते समय कुछ प्रभावशाली युवा सेलिब्रिटीज में हार्ट अटैक की ख़बरों ने व्यापक रूप से चिंतित किया।फिटनेस रूटीन और  नियमित व्यायाम आदि करने के अलावा स्वस्थ हृदय के लिए ऐसे कौन से पहलू हैं जिनका ध्यान रखना आवश्यक है बता रहे हैं पारस जेके अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टर अमित खंडेलवाल, डायरेक्टर एंड एचओडी, कार्डियोलॉजी :-

हमारे अनुभव में युवाओं में हृदय रोग के बहुत से मामले देखने को मिले हैं जिसमें 20-30-40 वर्ष की उम्र के लोग भी शामिल हैं, ऐसे ही कुछ निम्नलिखित मामले हैं :-

26 वर्षीय कॉलेज के छात्र नवीन (बदला हुआ नाम) अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने निकला था। उसी दौरान अचानक उसकी छाती में तेज़ दर्द उठा। दर्द उठने के ठीक एक दिन पहले रात को उसने भोजन के साथ शराब व धूम्रपान का सेवन किया था। इस दर्द का अनुभव एसिडिटी के दर्द जैसा था, इसके साथ-साथ चक्कर आने की भी शिकायत थी। उसे अस्पताल के इमरजेंसी में लाया गया जहाँ उसकी ईसीजी की गई जिसमें पुष्टि हुई की उसेराईट साइड कोरोनरी आर्टरी में हार्ट अटैक और हृदय में ब्लॉकेज था।एंजियोग्राफी में राइट आर्टरी में 100 फ़ीसदी ब्लॉकेज का पता चला, आगे के इलाज में तुरंत उसकी 1 स्टेंट सेएंजियोप्लास्टी व दवाओं के साथ उपचार किया गया।

एक अन्य मामले में 20 वर्षीय सुरेश (बदला हुआ नाम)जिसने अभी अपना नया काम शुरू किया था और अत्यंत तनाव की स्थिति से गुज़र रहा था।अपने दफ्तर में काम करते हुए कुछ घबराहट, पसीना व जी मिचलाने व दोनों कन्धों में दर्द के साथ छाती में दर्द के लक्षणों के साथ अस्पताल में रिपोर्ट किया।इमरजेंसी में ईसीजी के ज़रिये लेफ्ट साइड आर्टरी में ब्लॉकेज की पुष्टि हुई। इमरजेंसी एंजियोग्राफी की गई जिसमें पता चला आर्टरी में क्लॉट के कारण 60फ़ीसदी ब्लॉकेज है जिसके कारण मरीज़ को तुरंत खून पतला करने वाली दवाइयोंकी मेडिकल केयर पर रखा गया। उसकी एंजियोप्लास्टी नहीं की गई, परन्तु 48 घंटों बाद जब वापस चेक एंजियोग्राफी की गई उसमें केवल 20 फ़ीसदी ब्लॉकेज का ही पता चला।अर्थात सही दवाओं की मदद से भी प्लास्टी की जा सकती है।

इसमें कोई शक नहीं कि मोटापा, अस्वस्थ जीवनशैली हृदय रोगों की ओर अग्रसर करती है, और इनसे बचाव के लिए शारीरिक फिटनेस बेहद ज़रूरी है।लेकिन यहाँ निम्नलिखित पहलुओं को भी समझना बेहद ज़रूरी है :-

“फिट रहने का दबाव” :-

जैसा कि देखा जाता है ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर फिटनेस रिजीम के सकारात्मक कंटेंट तो देखने को मिलते हैं लेकिन, हर वक़्त “फिट रहने के दबाव” में बहुत से युवा अपने शरीर को अतिरिक्त कष्ट देते हैं जिसका कोई औचित्य नहीं है।जब आप दिशाहीन होकर शरीर को अतिरिक्त कष्ट देकर ज्यादा वजन उठाते हैं, वर्क आउट के नाम पर ज़रूरत से ज्यादा भाग दौड़ करते हैं तो रक्त वाहिकाओं पर प्रेशर बनता है जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप बढ़ने का जोखिम होता है और हार्ट अटैक की भी नौबत आ सकती है।सबसे पहले बेहतर है अपने शरीर को और उसकी कमियों को सहजता से स्वीकार करें,इसे शर्म का या प्रतिष्ठा का विषय न बनाएं, फिर उसके बाद उन कमियों पर काम करें।हल्के व्यायाम से शुरुवात करें, धीरे-धीरे अपने व्यायाम के रूटीन में तब्दीली लायें, अतिरिक्त व्यायाम जोड़ें, अपने शरीर को विकसित होने के लिए समय दें। यदि फिर भी किसी तरह का कष्ट महसूस हो तो निश्चित रूप से डॉक्टर से सलाह लें।लेकिन फिट रहने के लिए अपनी रक्तवाहिकाओं को कष्ट न दें और आगे बताये गए पहलुओं पर भी ध्यान दें।

मानसिक तनाव:-

आज के दौर में ख़ासकर कोविड महामारी आने के बाद से मानसिक समस्या एक चिंता का विषय है। हम अपनी मांस पेशियों को कितनी ख़ुराक देते हैंसिर्फ इतना काफी नहीं बल्कि इसके अलावा हम अपने दैनिक जीवन में अपने मन मस्तिष्क को कितना संतुलित रख पाते हैं इसपर भी ह्रदय का स्वास्थ्य निर्भर करता है। इसमें कोई शक नहीं तनाव की भी हृदयरोग में भूमिका है, इसे नज़रअंदाज़ करना उचित नहीं।दिन भर जिम में या स्पोर्ट्स फील्ड में समय देने के बाद उचित समय के लिए नींद भी ज़रूरी है। यह दौर कठिन है लेकिन समझदारी से मानसिक समस्याओं पर व्यापक चर्चा बेहद ज़रूरी है।अक्सर मानसिक समस्याओं को प्रतिष्ठा या छवि से जोड़ा जाता है लेकिन यह बिल्कुल भी उचित नहीं है, जब भी तनाव का सामना करें तो तुरंत बिना किसी झिझक मनोचिकित्सक से सलाह लें।

अनुवांशिक कारण :-

हृदय रोग के अनुवांशिक कारण भी होते हैं. अक्सर स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही की कड़ी में यह भी किया जाता है। बहुत से लोग फिट रहने की ठान लेते हैं लेकिन यह नहीं समझते कि रोगों की जड़ का एक हिस्सा बहुत मुमकिन है फैमिली हिस्ट्री में हो। इसलिए हृदय रोग समेत अन्य अनुवांशिक रूप से फैलने वाले रोगों के सन्दर्भ में अपनी फैमिली हिस्ट्री पर नज़र ज़रूर रखें, उसके अनुसार अपना बेहतर स्वास्थय सुनिश्चित करेंऔर समय समय पर टेस्ट करवाते रहें।

विशेषज्ञ की सलाह से तैयार हो फिटनेस रूटीन :-

फिट रहने के लिए केवल शारीरिक सक्रियता में रुची लेना काफी नहीं बल्कि यह भी देखें कि आपके शरीर की वर्तमान में क्षमता कितनी है? साथ ही आपके शरीर में किसी प्रकार के खाद्य के सेवन से किसी प्रकार के रोग की सम्भावना तो नहीं, इसके अलावा आपका बीएमआई फिलहाल कितना है और इसे संतुलित कैसे किया जा सकता है? इन तमाम आयामों पर भी ध्यान देना ज़रूरी है, इसके लिए विशेषज्ञ से ज़रूर परामर्श लें। बहुत मुमकिन है कि इस पहलू को अतिरिक्त ख़र्च या किसी भी अन्य कारण से बहुत से लोग ग़ैर ज़रूरी मानते हुए ख़ारिज कर दें, लेकिन रोगों के गंभीर होने पर आने वाले खर्च से ज्यादा फायदा फिट रहने के लिए लिया गया परामर्श ज्यादा उचित साबित हो सकता है जो आने वाले जोखिमों से बचाव सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। इसलिए बेझिझक स्वेच्छा से विशेषज्ञ से परामर्श लेकर अपनी जीवनशैली टायर करें।

उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, धूम्रपान व नशे की लत से परहेज़ करने और हृदय रोगों से बचाव सुनिश्चित करें।