कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने किया जेकेके में जयपुर कत्थक समारोह का शुभारम्भ

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जयपुर, 28 जनवरी। कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि कत्थक भक्ति से ओतप्रोत ऎसी नृत्य कला है, जिसके माध्यम से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है। यह भगवान कृष्ण और भगवान शंकर से जड़ी अनूठी विधा है। 

डॉ. कल्ला सोमवार को जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में जयपुर कथक केंद्र द्वारा आयोजित कब तक समारोह 2020 का शुभारंभ करने के बाद आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। 
 कार्यक्रम में जेकेके की महानिदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता, कला एवं संस्कृति विभाग  की प्रमुख शासन सचिव तथा जयपुर कत्थक केंद्र की अध्यक्ष श्रीमती श्रेया गुहा, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त श्री नीरज के. पवन सहित कला एवं संस्कृति प्रेमी एवं  गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। 
  
 डॉ. कल्ला ने कहा कि कत्थक में जयपुर घराने ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्यार्थी तैयार करते हुए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि यह घराना थली के नाम से प्रसिद्ध तालछापर एरिया से निकलकर जयपुर में शिफ्ट हुआ, इसके बाद यह जयपुर घराना कहलाया। इस घराने में फुटवर्क का अधिक मात्रा में है, लखनउ घराने में नजाकत और नफासत का पुट अधिक है। बनारस और मध्य प्रदेश में भी कत्थक होता है, मगर इन सबके बीच जयपुर घराने के नृत्य गुरूओं के निर्देशन में तैयार विद्यार्थियों ने निरंतर देश और विदेश में अपनी प्रतिभा और हुनर की अमिट छाप छोड़ी है। जयपुर कत्थक केन्द्र कई वषोर्ं से राजस्थान में कत्थक को सिखाने और इसे संरक्षण देने में अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रहा है।

डॉ. कल्ला ने कहा कि आजकल कई जगह कत्थक जैसी विशुद्ध विद्याओं के साथ मिलावट करते हुए इसको अलग तरह से पेश किया जाता है, यह संस्कृतिक प्रदूषण की श्रेणी में आता है, जो कतई उचित नहीं है। जयपुर घराना कत्थक की परम्पराओं और संस्कृति वैभव को संरक्षण करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, यह खुशी की बात है।