विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एनएच जयपुर दे रहा है कोविड वैक्सीन पर व्यापक जानकारी

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कोविड महामारी के इस दौर में सभी की जीवनशैली मानो कोविड संबंधी सावधानियों के अनुसार ढल गई है।डब्ल्यूएचओ का मानना है कि इस महामारी के चलते एक बहुत बड़े तबके वंचित तबके को आर्थिक संकट तक का सामना करना पड़ा, जिसके कारण गरीबी और गैर बराबरी को बढ़ावा मिला था।ऐसी ही बातों को ध्यान में रखकर इस बार विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम “बिल्डिंग अ फेयरर एंड हेल्दियर वर्ल्ड” रखा गया है, जिसका अर्थ है सभी के लिए सामान व स्वस्थ दुनिया की संकल्पना। इसे लागू करने के लिए व्यापक प्रयास जारी हैं।अभी के दौर में देखा गया है अब हमारे पास कोविड वैक्सीनउपलब्ध है, जिसका बहुत लम्बे समय से इंतज़ार था,लेकिनएक बहुत बड़ा तबका इसे लगवाने से डर रहा है। ग़लत सूचनाओं का प्रसार भी बहुत हद तक इस स्थिति का ज़िम्मेदार है।ऐसे में ज़रूरी है कि वैक्सीन के बारे में सही जानकारी का प्रसार सुनिश्चित हो।ऐसे में आम जनता के मन में बहुत तरह के सवाल हैं जिनके जवाब दे रहीं हैं डॉक्टर शिवानी स्वामी, कंसल्टेंट- पल्मोनोलॉजी, एलर्जी एंड स्लीप मेडिसिन, नारायणा मल्टीस्पेशेलिटी अस्प्ताल, जयपुर :-

·         क्या यह वैक्सीन डीएनए पर असर करती है, या क्या यह इन्फर्टाइल या नापुन्सक बना देती है?

यह बिल्कुल भ्रमित करने वाली जानकारी है। इस तरह की बातें न केवल गुमराह करतीं हैं बल्कि डर का माहौल भी पैदा करतीं हैं। हमारे अस्पताल का जनता से अनुरोध है कि वे अपनी जानकारी के स्रोत सही रखें, केवल भारत सरकार, डब्ल्यूएचओ और सूचना के अन्यविश्वसनीय स्रोतों के अनुसार ही अपनी जानकारी में इज़ाफा करें।जिज्ञासा की स्थिति में भी केवल सर्टिफाइड डॉक्टर से ही सलाह लें। यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।

 

·        कोविड वैक्सीन लगवाने पर किसी तरह के दुष्प्रभाव होने की कितनी संभावना है?

देखिये हम जब किसी भी वैक्सीन को लगवाते हैं तो क्षणिक रूप से कुछ रिएक्शन देखने को मिल सकते हैं, जैसे बुखार, अतिरिक्त थकान आदि। दरअसल वैक्सीन से दिया जाने वाला डोज़ शरीर के इम्युनिटी सिस्टम के साथ काम करता है और ये उसी के लक्षण होते हैं। इन लक्षणों का बल्कि सकरात्मक अर्थ यह होता है कि वैक्सीन काम कर रही है। इसलिए इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है।यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।

·        क्या कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद मुझे किसी भी तरह की कोविड संबंधी सावधानी का पालन करने की कोई आवशयकता नहीं है?

जहाँ तक बात है कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद कोविड संबंधी सावधानियों के पालन की तो कोई भी वैक्सीन एफिशिएंसी पर काम करती है, और 100 फ़ीसदी एफिशिएंसी कोई भी दवा दे पाने में सक्षम नहीं है। इसलिए कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद लापरवाह हो जाने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के बाद भी लगातार हाथ सैनिटाइज़ करने,सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने आदि जैसे सभी नियमों का पालन करें।

·         कोविड एक विशेष ब्लड ग्रुप को प्रभावित नहीं कर रहा, क्या यह जानकारी सही है?

बिल्कुल भी नहीं, यह केवल भ्रमित करने वाली बहुत सी बातों में से एक है। कोविड सभी के लिए जोखिम भरा है। कृपया अपनी जानकारी के स्रोत सही रखें। केवल भारत सरकार, डब्ल्यूएचओ और सूचना के विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार ही अपनी जानकारी में इज़ाफा करें। जिज्ञासा की स्थिति में केवल सर्टिफाइड डॉक्टर से ही सलाह लें।

·         क्या कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद मुझे किसी भी तरह के कोविड टेस्ट की ज़रूरत नहीं है?

हम एक महामारी के दौर से गुज़र रहे हैं, ऐसे में सावधानियों का हर स्तर पर पालन करने के साथ साथ प्रशासन के साथ सहयोग भी करना चाहिए।हालाँकि कोविड के दोनों डोज़ लगने के बाद उसका एक प्रमाणपत्र भी दिया जाता है लेकिन यदि किसी असहजता के कारण आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना पड़े तो ज़रूर करवाना चाहिए।

·         क्या कोविड संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी मुझे यह वैक्सीन लगवानी चाहिए?

बेशक़। यदि व्यक्ति एक बार कोविड संक्रमण से जूझ चुका है और ठीक हो चुका है उसको भी वैक्सीन निश्चित रूप से लगवानी चाहिए।

·         जो व्यक्ति किसी अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रहा है जैसे डायबिटीज, हृदय रोग आदि, उनके लिए यह वैक्सीन लेना कितना उचित है? क्या उन्हें इससे किसी प्रकार का जोखिम है?

किसी भी गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति को यह वैक्सीन लगवानी चाहिए। इसके लिए वह अपने संबंधित डॉक्टर से परामर्श ले सकता है। कोविड वैक्सीन केंद्र पर भी गंभीर बीमारी से जूझने वालों को अपनी बीमारियों से सम्बंधित जानकारियों के कागजों के साथ आना होता है जिसे सम्बंधित डॉक्टर द्वारा लिखित में दिया जाता है।

·         क्या गर्भवती व शिशु को स्तनपान करवाने वाली स्त्रियों को लगवानी चाहिए?

हाँ गर्भवती व शिशु को स्तनपान करवाने वाली स्त्रियाँ भी यह वैक्सीन लगवा सकतीं हैं लेकिन उनपर यह प्रक्रिया विशेष मेडिकल देखरेख के तहत की जाती है।