कोविड-19 महामारी ने राजस्थान के ग्रामीण
क्षेत्रों के लोगों के जीवन और आजीविका को प्रभावित किया है। परिवारों की आर्थिक
स्थितियां ख़राब होने के कारण बालिकाओं की शादी कम उम्र में कर देने की संभावना और
भी बढ़ गयी है । यूनिसेफ के नवीनतम अनुमान के अनुसार महामारी के कारण अगले दशक में
वैश्विक स्तर पर 1 करोड़ से अधिक बालिकाओं को बाल विवाह
का खतरा होगा। यह उन 10 करोड़ बालिकाओं के अतिरिक्त है, जो महामारी के प्रकोप से पहले, विश्व स्तर पर वर्षों से किये कई महत्वपूर्ण प्रयासों के बावजूद, अगले दशक में बाल विवाह के जोखिम में थीं।
बाल विवाह का प्रभाव केवल लड़कियों के
जीवन पर ही नहीं पड़ता बल्कि यह पीढ़ियों तक चलने वाले गरीबी के कुचक्र को भी जन्म
देता है, जो अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव
डालता है। यह लड़कियों को शिक्षा तक पहुंच से वंचित करने के जोखिम में डालता है, और उनकी स्वायत्तता और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को भी प्रभावित
करता है। बाल विवाह जेंडर भेदभाव, कुपोषण, और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को बढ़ावा देता हैं। कोविड -19 महामारी ने बालिकाओं के लिए लैंगिक अधिकार और शैक्षिक समानता की दिशा
में हुई प्रगति को कमजोर कर दिया है। इसके अलावा, पारिवारिक आय पर कोविड-19 के प्रभाव ने
बालिकाओं की शिक्षा और एजेंसी को प्रभावित किया है, क्योंकि आर्थिक तनाव के चलते अक्सर लोग अपनी बेटियों की शादी कम उम्र
में करने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया में राजस्थान की वरिष्ठ राज्य कार्यक्रम प्रबंधक दिव्या संथानम ने कहा, “इस महामारी ने वंचित ग्रामीण क्षेत्रों में समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जो पहले से नाज़ुक थी, को प्रभावित किया है और किशोरियों को स्कूल छोड़ने और जल्दी विवाह के जोखिम में डाला है। इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए, हम राजस्थान सरकार के प्रदेश के सभी 33 जिलों में अतिरिक्त सीएमपीओ नियुक्त करने के कदम का स्वागत करते हैं।“
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया बाल विवाह और स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभावों, विशेष रूप से किशोर गर्भधारण को रोकने के लिए राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करता है। सुश्री संथानम कहती हैं - “सरकार इस मुद्दे को कई स्तरों पर संबोधित करने की कोशिश कर रही है । यह प्रोत्साहित करने वाला कदम है। यह उन समुदायों के साथ कठिन बातचीत शुरू करने की दिशा में अनुकूल वातावरण बनाने के हमारे संकल्प को मजबूत करता है जो पहले से ही महामारी और इसके प्रभावों से निपट रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार और सामाजिक संस्थाओं के बीच तालमेल से बालिकाओं को उस भविष्य से बचाने में मदद मिलेगी, जिसे उन्होंने अपने लिए चुना ही नहीं था"
वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक बाल
विवाह भारत में होते हैं - कुल बाल विवाहों का एक तिहाई। 2015-16 में किये गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -4) के अनुसार, भारत में 4 में से 1 लड़की की शादी 18 साल की उम्र में कर दी गई थी और हर साल कम से कम 15 लाख अतिरिक्त लड़कियां इन आकड़ो
में जुड़ जाती हैं। राजस्थान में बाल विवाह का प्रचलन राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है
। राज्य में 20 से 24 वर्ष की 35% महिलाएं ऐसी हैं जिनका विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले हो गया था जबकि इस संबंध में राष्ट्रीय औसत 27% है। परिणामस्वरूप, राज्य की 6% किशोरियाँ या तो गर्भवती हैं या उनके बच्चे हो चुके हैं (एनएफएचएस
- 4)। मौजूदा महामारी के कारण स्कूल बंद
होने से ये स्थिति और गंभीर होने की संभावना है।