उदयपुर, सितम्बर 2021.
हाल ही में पारस जेके अस्पताल के
डॉक्टर अभिषेक व्यास ने एक ही चीरे की मदद से लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कर एक मरीज़ की
पित्त की थैली निकाली। दरअसल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी आम तौर पर चार या तीन चीरे करके
की जाती है लेकिन एक ही चीरे की मदद से इसे करना बहुत आम नहीं है। सर्जरी के
क्षेत्र में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी बहुत आधुनिक तकनीक में से एक मानी जाती है। इसके
तहत सर्जरी केलिए चार जगह चीरा लगाने की बजाय दूरबीन और औजारऑपरेशन वाली जगह पर एक
साथ अन्दर डाले जाते हैं। दूरबीन की मदद से डॉक्टरों को उस जगह को साफ़ देखने में
मदद मिलती है और बाकी उपकरणों के सिरों पर लगे औजारों से सर्जरी किया जाता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की खासियत
यह है कि इसमें स्कार यानी चीरे के गहरे
निशान और उससे जुड़ी परेशानियां नहीं होतीं, हैं।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्षेत्र
में 7 वर्ष का अनुभव रखने वाले डॉक्टर अभिषेक व्यास, कंसल्टेंट, एडवांस
लेप्रोस्कोपिक जनरल एंड बेरियेट्रिक सर्जरी, पारस जेके
अस्पताल ने कहा,
“लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक बहुत ही आधुनिक और कारगर तकनीक है
लेकिन एक चीरे से होने वाले तकनीक की जहां तक बात है तो इसे करने के लिए बहुत
अनुभव की ज़रूरत है। दरअसल इसे सीखने की प्रक्रिया में एक डॉक्टर को चार चीरे से
तीन फिर धीरे धीरे एक चीरे वाली
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी तक आने में वक़्त लगता है, ये भी एक
कारण है कि इसे आम तौर पर उतना नहीं किया जाता। हमें इस सफल सर्जरी के साथ मरीज़ को
वापस रोगमुक्त देखकर ख़ुशी हो रही है।”
एसआईएलएस यानी एक चीरे से होने
वाली लेप्रोस्कोपिक सर्जरी तेज़ी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, इसे
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का भविष्य भी कहा जा सकता है। कम से कम चीरे से निशान नहीं
बनता, कम
से कम खून बहने का जोखिम आदि को देखते हुए यह अत्याधुनिक है और यह लगातार विकसित
भी हो रही है। इसके अलावा मरीज़ को भी अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिलती है।
विश्वजीत
कुमार,
फैसिलिटी डायरेक्टर, पारस जेके
अस्पताल कहते हैं,“अक्सर
आधुनिक इलाज की उम्मीद में लोग महानगरों की और रुख करते हैं, लेकिन
उदयपुर में हमारे अस्पताल के अनुभवी डॉक्टर्स व आधुनिक इलाज की उपलब्धता के कारण
बहुत से लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता। एक चीरे वाली लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की यदि
बात करें तो इसमें बहुत कौशल की ज़रूत होती है और यह हमारे अस्पताल में उपलब्ध है। पारस जेके अस्पताल का उद्देश्य है
कि सभी मरीज़ों को उच्च गुणवत्ता वाली व आधुनिक स्वास्थय सेवायें उपलब्ध हों और
इसके लिए मरीज़ों को महानगरों की ओर जाने की ज़रूरत न पड़े।“