कोविड महामारी के बाद क्यों बढ़ रही है टाइप 2 डायबिटीज की समस्या?

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उदयपुर, नवंबर, 2021.

सामान्य रूप से डायबिटीज को केवल मीठे से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन एक रोग के तौर पर डायबिटीज की सीमा इससे कहीं ज़्यादा है। इस वर्ष वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम भी “डायबिटीज के इलाज तक पहुँच : अब नहीं तो कब” (एक्सेस टू डायबिटीज केयर : इफ नॉट नाउ वेन) है। यह थीम यह बताने के लिये काफी है कि डायबिटीज को लेकर न केवल सचेत होने की आवश्यकता है बल्कि यह भी बताने के लिए काफी है कि डायबिटीज के सन्दर्भ में देरी करना कितना घातक हो सकता है। इस जोखिम में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। इसका संबंध अन्य बहुत से रोगों, शारीरिक स्थितियों, खान-पान व जीवनशैली से भी है।

डॉक्टर जय चौरड़िया, कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, पारस जेके अस्पताल, उदयपुर के अनुसार डायबिटीज जहां किसी अन्य बीमारी के कारण हो सकता है वहीँ दूसरी ओर डायबिटीज के कारण अन्य शारीरिक कष्ट व बीमारियाँ हो सकतीं हैं। भारत में डायबिटीजचिंताजनक समस्या के तौर पर उभरा है। एक अध्ययन के अनुसार देश में 45 वर्ष से अधिक आयु के लोग हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या से जूझ रहे हैं,एक अन्य अध्ययन के मुताबिक देश में आधे डायबिटीज़ के रोगी अनडायग्नोज्ड हैं यानी उन्हें डायबिटीज है लेकिन वे इससे अनजान हैं।इसी कड़ी में देखा गया है कि कोविड के दौर में डायबिटीज की समस्या और भी ज्यादा उभर कर सामने आई है।

क्या है डायबिटीज :- डायबिटीज दरअसल रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा का असंतुलित होता है जिसका व्यापक असर रक्त वाहिकाओं समेत किडनी, हृदय व अन्य मूल अंगों पर देखने को मिलता है। यह दो प्रकार की होती है टाइप-1 और टाइप-2। टाइप- डायबिटीज में अनुवांशिक कारणों से शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाता है, जबकि टाइप-2 डायबिटीज में जीवनशैली के कारण इन्सुलिन बनने की क्षमता का ख़त्म होना है।

कोविड और टाइप-2 डायबिटीज :-

कोविड के सन्दर्भ में ध्यान देना होगा कि कोविड महामारी के दौर में जहां कोविड संक्रमण के बाद और पोस्ट कोविड सिंड्रोम में डायबिटीज के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। दरअसल कोविड संक्रमण केवल श्वसन तंत्र में होने वाला संक्रमण नहीं है बल्कि यह रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित करता है जिसके परिणाम स्वरुप रक्तचाप का संचालन प्रभावित होता है डायबिटीज होने का जोखिम होता है। इसके अलावा कोविड संक्रमण शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है जिसके कारण दोनों रोगों की गंभीरता बढ़ सकती है. डायबिटीज के रोगी के लिए कोविड संक्रमण बहुत घातक हो सकता है।

इसके अलावा बीते समय लम्बे दौर तक सोशल डिस्टेंसिंग, वर्क फ्रॉम होम आदि के कारण सीमित शारीरिक सक्रियता के कारण भी  बहुत से लोग मोटापे व डायबिटीज के लक्षणों से ग्रस्त हुए। इसी कड़ी में डायबिटीज से पहले से जूझ रहे रोगियों में कोविड संक्रमण के कारण कोविड व डायबिटीज दोनों की गंभीरता देखने को मिली।

उपरोक्त कारणों की वजह से अब डायबिटीज पहले से कहीं ज्यादा चिंताजनक विषय है।

कैसे करें बचाव सुनिश्चित :-

नियमित व्यायाम करें :- एक डायबिटीज के रोगी को दिन में कम से कम 30 मिनट उचित व्यायाम करना बेहद ज़रूरी है। रोग की गभीरता या शारीरिक कष्ट के अनुसार डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है, लेकिन डायबिटीज के सन्दर्भ में व्यायाम के महत्त्व को नज़रअंदाज़ न करें।

वजन को नियंत्रण में रखें :- वजन रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव बनाता है जिसके कारण डायबिटीज का अतिरिक्त जोखिम होता है इसलिए अपने बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) के अनुसार अपना वजन बनाये रखें।

स्वस्थ भोजन :- भोजन में संतुलित आहार व पोषण को तरजीह दें। नमक, चीनी आदि सीमित मात्रा में लें. भोजन में हरी सब्जियों को विशेष स्थान दें।

केवल डॉक्टर की सलाह है उचित :- यदि पहले से डायबिटीज से जूझ रहे हैं तो किसी भी तरह की लापरवाही न करें। डॉक्टर की सलाह से नियमित दवाएं लें। बिना सम्बंधित डॉक्टर की सलाह के खान पान व अन्य नियमों में भी किसी तरह का बदलाव न करें।

अनुवांशिक कारणों पर नज़र रखें :- यह बिंदु हरेक अनुवांशिकत कारणों से होने वाली बीमारियों पर लागू होता है। यदि परिवार में कोई वंशानुगत बीमारी से ग्रस्त है तो सचेत हो जाएँ और उसके अनुसार जांच व इलाज सुनिश्चित करें।

उपरोक्त के अलावा धूम्रपान व नशे की लत से दूरी बनाएं सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार कोविड वैक्सीन ज़रूर लगवाएं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ और बच्चों का विशेष ध्यान रखें।