नई दिल्ली, 21 फरवरी, 2022.
खाद्य तेल उद्योग की सर्वोच्च संस्था सेंट्रल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एण्ड ट्रेड (COOIT)12 और 13 मार्च को अपने 42वें सालाना सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है, सम्मेलन के दौरान मौजूदा रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों) सीज़न में सरसों के बीज के लिए उत्पादन के अनुमान पर विचार-विमर्श किया जाएगा, साथ ही डोमेस्टिक प्रोसेसर्स के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे विश्वस्तरीय कीमतों और वैल्यू टर्म में बढ़ते आयात आदि पर भी चर्चा की जाएगी।
‘ऑयलसीड, ऑयल ट्रेड एण्ड इंडस्ट्री’ विषय पर आयोजित 42वें अखिल भारतीय सेमिनार में केन्द्रीय एवं राज्य मंत्री, सरकारी अधिकारी, कृषि विज्ञानी, उद्योग जगत के लीडर एवं प्रगतिशील किसान हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम का आयोजन मस्टर्ड ऑयल प्रोड्युसर्स एसोसिएशन (MOPA) एवं भरतपुर ऑयल मिलर्स एसोसिएशन (BOMA) के सहयोग से किया जाएगा।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान सेंट्रल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एण्ड ट्रेड (COOIT) 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए सरसों के बीजों के उत्पादन, क्षेत्रफल, प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की घोषणा करेगा। सरसों सिर्फ रबी सीज़न में उगाई जाती है, इसकी बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है और फरवरी के अंत में कटाई शुरू की जाती है।
सरसों मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बोई जाती है।
फसल की स्थिति एवं क्षेत्रफल से संबंधित फील्ड डेटा के आधार पर उद्योग जगत के दिग्गज फसल से जुड़े विभिन्न पहलुओं का अनुमान लगाते हैं।
हमें उम्मीद है कि रबी के इस सीज़न सरसों के बीजों का रिकॉर्ड उत्पादन होगा। किसानों ने इस बार ज़्यादा क्षेत्रफल पर यह फसल बोई है, क्योंकि पिछले साल उन्हें सरसों पर बेहतर मूल्य मिला था। सम्मेलन के दौरान हम देश में तेल और तेलबीजों के उत्पादन एवं उपलब्धता का मूल्यांकन करेंगे।’ COOIT के चेयरमैन श्री सुरेश नागपाल ने बताया।
श्री नागपाल ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि उद्योग संगठन घरेलू एवं विश्वस्तर पर खाद्य तेल सेक्टर की मौजूदा स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेगा।
दुनिया भर में पाम ऑयल और तेल की कीमतों में ज़बरदस्त बढ़ोतरी के चलते पिछले एक साल के दौरान खाद्य तेल सेक्टर सुर्खियों में रहा है। चूंकि भारत इस दृष्टि से आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, ऐसे में भारतीय उपभोक्ताओं को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है और उन्हें कुकिंग ऑयल खरीदने के लिए भारी कीमतें चुकानी पड़ रही हैं।
‘सम्मेलन के दौरान उद्योग जगत योजना बनाएगा कि किस तरह घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर आयात पर निर्भरता कम की जाए, ताकि खाद्य तेलों को किफ़ायती दामों पर उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सके।’ उन्होंने कहा।
‘सरसों की बुवाई के लिए क्षेत्रफल बढ़ाने की अपार संभावनाएं है। चूंकि सरसों के बीज में तेल की मात्रा सोयाबीन के बीज की तुलना बहुत अधिक होती है, ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार सरसों की बुवाई को प्रोत्साहन दे।’ श्री के.के. अग्रवाल, प्रेज़ीडेन्ट, BOMA ने कहा।
भारत खाद्य तेलों की घरेलू मांग का 60-65 फीसदी आयात करता है। 1994-95 में आयात पर निर्भरता मात्र 10 फीसदी थी। 2020-21 तेल वर्ष (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान देश का आयात 13 मिलियन टन पर स्थिर हो गया। हालांकि मूल्य की दृष्टि से देखा जाए तो आयात बढ़कर रु 1.17 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले साल के दौरान रु 72,000 करोड़ था।
COOIT
सरकार
से
मांग
करता
रहा
है
कि
कच्चे
खाद्य
तेल
एवं
रिफाइन्ड
खाद्य
तेल
के
बीच
आयात
ड्यूटी
के
अंतर
को
यथोचित
बनाकर
रखा
जाए,
ताकि
स्थानीय
प्रोससर्स
के
हितों
को
सुरक्षित
रखा
जा
सके।
स्थानीय
तेलबीजों
के
बढ़ते
आयात
और
सीमित
आपूर्ति
को
देखते
हुए
उद्योग
जगत
की
बहुत
अधिक
इन्स्टॉल्ड
क्षमता
का
उपयोग
नहीं
किया
जा
रहा
है।
देश में प्रति व्यक्ति सालाना उपभोग की बात करें तो यह 2012-13 में 15.8 किलोग्राम थी, जो वर्तमान में बढ़कर 19-19.5 किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि 1200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर, भारतीय तेलबीज उत्पादकता, विश्वस्तरीय औसत की आधी है और शीर्ष पायदान के उत्पादकों की तुलना में एक-तिहाई से भी कम है।
इस सालाना सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं: तेल सेक्टर के हितों की सुरक्षा करना; सरकार को नीति निर्माण के लिए सुझाव देना; किसानों एवं उद्योग जगत को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियों के खिलाफ़ सरकार के समक्ष प्रतिनिधित्व बनाना; तथा नई तकनीकों के बारे में जागरुकता बढ़ाना। इस मौके पर उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपभोक्ताओं के लिए अच्छी गुणवत्ता के खाद्य तेलों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी कदम उठाने पर भी चर्चा करेंगे।
1958
में
स्थापित
COOIT राष्ट्रीय
स्तर
की
सर्वोच्च
संस्था
है
जो
वनस्पति
तेल
सेक्टर
के
विकास
में
सक्रिय
है,
जोकि
अर्थव्यवस्था
का
अभिन्न
हिस्सा
है।
COOIT
राष्ट्रीय
स्तर
की
सर्वोच्च
संस्था
है
जो
देश
में
पूरे
वनस्पति
तेल
सेक्टर
के
हितों
का
प्रतिनिधित्व
करती
है
और
इसके
सदस्यों
में
राज्य
स्तरीय
संगठन,
प्रमुख
निर्माता/
कारोबार,
व्यापार
एवं
निर्यात
सदन
शामिल
हैं।