जयपुर, अप्रैल 17, 2023.
किसान के बेटे और आर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल, नेवता, जयपुर में गणित के शिक्षक महेश कुमार से शमा अपने छात्रों के लिए एक प्रेरणा हैं। राजस्थान के सीकर गांव से आईआईटी तक की इनकी यात्रा जुनून, समर्पण और दृढ़ संकल्प के अलावा और कुछ भी नहीं है।
महेशनेकहा,’’मेरे बचपन के दिन संघर्षपूर्ण थे और मैं अपनी वित्तीय स्थिति के कारण एक अच्छे स्कूल में नहीं जा सका। मैं हमेशा सीखना चाहता था और पढ़ाई में मेरी बहुत दिलचस्पी थी, इसी कारण मैं अपनी इच्छाओं को पूरा करने और अपने माता-पिता को गौरवान्वित करने के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक आईआईटी में प्रवेश लेने केलिए अडिग रहा।"
महेश ने अपनी स्कूली शिक्षा सीकर गांव के एक स्थानीय स्कूल से ली। क्लास 12 में टॉप करके राजस्थान राज्य बोर्ड परीक्षा में 23वां स्थान हासिल किया। इस उपलब्धि पर महेश को कई स्कॉलरशिप्स से सम्मानित किया गया और सीधे सरकारी साइंस कॉलेज, सीकर में एडमिशन मिला। लेकिन, आईआईटी में जाने का उनका सपना इतना मजबूत था कि उन्होंने अपना गृह नगर छोड़कर आईआईटी के लिए कोचिंग कक्षाएं लेने दिल्ली जाने का फैसला किया। कड़ी मेहनत और दिन-रात पढ़ाई की, लेकिन IIT JEE परीक्षा को क्रैक नहीं कर सके।
अपने एक टूटे हुए सपनों के साथ, महेश वापस सीकर लौट आए और गणित में बी.एससी पूरा किया। लेकिन, आईआईटीयन बनने का उनका ख्वाब उनका पीछा नहीं छोड़ा। लगातार रिसर्च के बाद महेश को पता चला कि आईआईटी भी M.Sc की डिग्री प्रदान करता है। वह दिल्ली वापस आ गए और डीआइपीएस एकेडमी, दिल्ली के निदेशक श्रीराजेंद्र दुबे के मार्गदर्शन में आईआईटी जेएएम (मास्टर्स के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा) की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। महेश ने परीक्षा दी और इस बार गणित और सांख्यिकी दोनों विषयों को क्रैक कर लिया। उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा – यह एक अविश्वसनीय दोहरी उपलब्धि थी। महेश ने गणित के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और आईआईटी मंडी से M.Sc पूरा किया। उसकी फैमिली काफी खुश थी, क्योंकि उसके परिवार से कोई भी कभी आईआईटी में पढ़ाई नहीं किया।
महेश ने कहा, “मेरे पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के बाद, मुझेअपनी पहली नौकरी आर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल, बचुपल्ली में मिली। परिवार में सबसे बड़ा होने के कारण मुझे कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ीं और मेरे लिए अपने परिवार से दूर रहना आसान नहीं था। क्योंकि, मेरी भौतिक उपस्थिति आवश्यक थी। एक दिन मेरे दादाजी का निधन हो गया और मुझे हमेशा के लिए अपने गृहनगर लौटना पड़ा। लेकिन, स्कूल ने मुझे जयपुर शाखा में ट्रांसफर करने का फैसला किया। मेरे पास आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। परिवार के साथ रहना और एक ही शहर में काम करना किसी सपने के सच होने जैसा है। उस दिन एहसास हुआ कि मुझे OIS से बेहतर कार्यस्थल कभी नहीं मिल सकता। मैं अपनी प्रेरणा, डॉ. कविता नागपाल, डॉ. एन अरुणाराव मैम, राजेंद्र दुबे सर, डॉ. सैयद अब्बास सर, और भीवाराम भूकर सर को धन्यवाद देना चाहता हूं।उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया है।