जयपुर, अक्टूबर 2023.
जयपुर की मलिन बस्तियों से मनीषा पेम और मुस्कान वर्मा ने तुर्की में हुई आईएफएमए वर्ल्ड यूथ मुयेथाई चैंपियनशिप में अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के जरिए इस देश को गौरवान्वित किया है। इस प्रतियोगिता में 126 देशों से 2,700 धावकों ने हिस्सा लिया।
मनीषा पेम ने मुये थाई में 16 से 17 वर्ष के आयु वर्ग में कांस्य पदक और वाइक्रू प्रदर्शन में एक स्वर्ण पदक हासिल किया। वहीं मुस्कान वर्मा ने 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में एक कांस्य पदक जीता। चेन्नई में नेशनल मुये थाई चैंपियनशिप में इन्होंने क्रमशः एक स्वर्ण एवं एक रजत पदक जीता।
मनीषा और मुस्कान
की प्रोफाइल
विमुक्ति गर्ल्स स्कूल की कक्षा 11 की छात्रा मनीषा पेम पांच लोगों के एक साधारण परिवार से आती है जहां वित्तीय स्थिरता अक्सर दूर की कौड़ी होती है। उसकी मां एक एनजीओ में काम करती हैं, जबकि पिता की छिटपुट आमदनी से महीने की आठ से दस हजार रुपये की आमदनी हो पाती है। इन चुनौतियों के बावजूद विमुक्ति गर्ल्स स्कूल में मनीषा की यात्रा उस समय शुरू हुई जब वह छह वर्ष की थी और उसने कई बाधाओं को पार किया। कविता से शुरुआत करने वाली मनीषा के प्रतिभावान रैप आर्टिस्ट के रूप में उभरी और उसने अपने गीतों से तूफानों का सामना किया। प्रोजेक्ट उड़ान के साथ उसके जीवन में एक बड़ा मोड़ लिया जहां उसकी स्वभाविक बॉक्सिंग की ताकत सामने आई। महज पांच महीनों में उसने जिला स्तरीय चैंपियनशिप में दो रजत पदक जीते। मनीषा की आकांक्षा ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने की है जोकि उसकी भावना और जोश को दर्शाती है।
सत्रह वर्षीय मुस्कान वर्मा पांच लोगों के परिवार से आने वाली एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली प्रतिभाशाली लड़की है। उसके पिता रिक्शा चलाकर जीवन यापन करते हैं, जबकि मां एक समर्पित गृहणी हैं जो किराए के मकान में गुजर बसर करते हुए रोजी रोटी कमाने में लगी हुई हैं। प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद वर्ष 2018 से विमुक्ति गर्ल्स स्कूल में मुस्कान की शिक्षा, मार्शल आर्ट्स के प्रति उसके समर्पण के साथ पूरी हो रही है। मुस्कान ने दो साल पहले प्रोजेक्ट उड़ान के जरिए मार्शल आर्ट्स में हाथ आजमाया और उसने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते।
विमुक्ति संस्था
की संस्थापक सचिव
लवलीना सोगानी के बारे
में
लवलीना सोगानी, मलिन बस्तियों में रहने वाली लड़कियों का जीवन बदलने का लक्ष्य लेकर चल रहे सामाजिक उपक्रम विमुक्ति संस्था की संस्थापक सचिव हैं। उनके मार्गदर्शन में विमुक्ति संस्था वंचित तबके की लड़कियों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने को सतत प्रतिबद्ध है। लवलीना ने वर्ष 2004 में विमुक्ति की शुरुआत उस समय की जब उनकी नौकरानी के बेटी ने कहा, लड़कियां दूध नहीं पीतीं। दूध केवल उन बेटों के लिए हैं जो स्कूल जाते हैं। इस बात ने लवलीना को भीतर से झकझोर दिया और समाज में लड़के और लड़कियों के बीच मौजूद भेदभाव का एक गहरा असर उनके मन पर पड़ा जिसे दूर किए जाने की बहुत अधिक आवश्यकता है। वर्तमान में यह स्कूल 650 लड़कियों को अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहा है। औपचारिक शिक्षा के अलावा, लवलीना सोगानी करियर डेवलपमेंट प्रोग्राम, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम और अन्य कौशल विकास पहल जैसे विभिन्य कार्यक्रम चला रही हैं जिनका उद्देश्य लड़कियों के मन में विश्वास पैदा करना और रोजगार के लिए आवश्यक कौशल से उन्हें लैस करना है।