नई दिल्ली, 18 नवंबर, 2019: उत्तर भारत का लीडिंग हेल्थकेयर प्रवाइडर, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग ने कार्डियक सर्जरी की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए आज सोनीपत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से मरीज को सर्जरी के दौरान किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है और साथ ही यह उनमें ऑपरेशन के बाद के जोखिमों को भी कम कर देती है। इन जोखिमों में खून का अधिक बहाव, सर्जिकल ट्रॉमा, दर्द आदि शामिल हैं। इस कार्यक्रम में शालीमार स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से सीटीवीएस के एसोसिएट डायरेक्टर, डॉक्टर वीनू कौल आईमा और डॉक्टर मोहम्मद मुबीन उपस्थित थे।
मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (एमआईसीएस) एक सुरक्षित ऑपरेशन है, जिसने कोरोनरी सर्जरी के तरीकों में क्रांति ला दी है। इस सर्जरी में मिलने वाले फायदों के कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है। इसके फायदों में कॉस्मेटिक फायदा, कम दर्द, छोटा चीरा और अस्पताल से जल्दी छुट्टी आदि शामिल हैं। इस प्रक्रिया में हड्डी को काटे बिना केवल 2-3 इंच के चीरे से ही काम बन जाता है। सामान्य हार्ट सर्जरी की तरह ही इसमें भी पैरों की धमनियों और नसों को हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया कोरोनरी आर्टरी बाईपास, माइट्रल वॉल्व रिपेयर, माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट, एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट, एट्रियल सेप्टल विकार (दिल में छेद) आदि समस्या में इस्तेमाल की जाती है।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टर वीनू कौल आइमा ने बताया कि, “भारत में पिछले 25 सालों में हृदय रोगों के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसपर रोक लगाना जरूरी है। आमतौर पर लोग दिल की बीमारियों के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण इलाज सही समय पर नहीं हो पाता है। इसके अलावा गतिहीन जीवनशैली और खराब खान-पान के कारण दिल की बीमारियां दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।”
डॉक्टर वीनू कौल ने आगे बताया कि, “पिछले 3-4 सालों में, हमने एमआईसीएस के मामलों में वृद्धि देखी है। यदि सामान्य बाईपास सर्जरी की बात की जाए तो उसमें 10 इंच के चीरे के साथ सर्जरी की जाती है बल्कि एमआईसीएस एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें केवल 2-3 इंच के चीरे से ही काम बन जाता है। इस टेक्नोलॉजी के साथ, हम लोगों में इसमें हुए सुधार के बारे में जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं।”
कार्यक्रम में मौजूद, डॉक्टर मोहम्मद मुबीन ने बताया कि, “एमआईसीएस का सबसे पहला फायदा यह है कि इसमें किसी भी हड्डी को काटना नहीं पड़ता है। इसके अलावा इसमें दर्द भी कम होता है और सांस लेने में कोई समस्या भी नहीं आती है। । दूसरा फायदा यह है कि इसमें खून का बहाव न के बारबर होता है, जिससे खून का संक्रमण होने का कोई खतरा नहीं होता है। तीसरा, इसमें सर्जरी के बाद किसी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा नहीं होता है। यही वजह इसे डायबिटीज के रोगियों के लिए एक बेहतर विकल्प बना देता है। चौथा, इसमें केवल 2-3 इंच के चीरे से ही काम बन जाता है, जिससे कोई नहीं बता सकता कि दिल का ऑपरेशन किया गया है। पांचवा फायदा यह है कि इसमें मरीज को केवल 4 दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है। यह प्रक्रिया उन सभी मरीजों के लिए सही है, जिन्हें सर्जरी की पुरानी प्रक्रिया से खतरा हो सकता था।”