अमृतसर : मेरूदण्ड़ की हड्डियों के बीच में ट्यूमर पनपता है और बढ़ता चला जाता है। कई बार यह प्रभाव न डालने वाला तो कभी बहुत घातक हो सकता है। सामान्य तौर पर ट्यूमर के तीन प्रकार होते हैं जो रीढ़ की हड्डी पर असर डालते हैं। इंट्रामेड्यूलरी ट्यूमर (अंतरूमज्जा गांठ), एक्स्ट्रामेड्यूलरी ट्यूमर (बाह्य मज्जा ट्यूमर), वर्टेब्रल कॉलम (कशेरुकीय स्तंभ) ट्यूमर आदि।
आर्टेमिस हॉस्पीटल के अग्रीम इंस्टीच्यूट फॉर न्यूरो साइंसेस न्यूरोसर्जरी के निदेशक डॉ. आदित्य गुप्ता का कहना है कि जैसे-जैसे ट्यूमर का आकार बड़ा होता जाता है, वैसे-वैसे यह मेरुदण्ड को अपनी चपेट में लेने लगता है। अलग-अलग लोगों में इसके दर्द और प्रभाव की तीव्रता भिन्न होती है जो ट्यूमर के प्रकार, स्थान के आधार पर निर्भर करती है। इसके सामान्य लक्षणों में पीठ का दर्द, संवेदनहीनता (विशेषरूप से पैरों और बांहों में), चलने, फिरने में परेशानी, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और दर्द के प्रति संवेदनशीलता में कमी, गर्मी और सर्दी के प्रति संवेदनाओं का बढना, मल त्याग में परेशानी और मांसपेशियों की कमजोरी शामिल हैं। पीठ दर्द इसका प्रारंभिक और सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है जो कैंसर ट्यूमर और गैर-कैंसर ट्यूमर दोनों की स्थित में उत्पन्न होता है।
स्पाइनल ट्यूमर के इलाज के लिए कई तरह की उपचार पद्धतियां उपलब्ध हैं, लेकिन पूर्ण रूप से शल्य क्रिया (चीर-फाड़) रहित होने और इलाज के दौरान किसी भी तरह से बेहोश न करने के कारण साइबरनाइफ तकनीक से उपचार करने को प्राथमिकता दी जाती है। रोगी का समय बचाने और तेजी से उसके स्वास्थ्य में सुधार के दृष्टिकोण से भी साइबरनाइफ बहुत उपयोगी है। साइबरनाइफ रेडिएशन सर्जरी, रेडियो सर्जरी (विकिरणीय शल्यचिकित्सा) का ही एक रूप है। इसका इस्तेमाल कर सटीक लक्ष्य पर विकिरणों की मदद से ट्यूमर को नष्ट कर दिया जाता है। यह पद्धति पूरी तरह चीर-फाड़ से रहित है। इसमें न तो रोगी को बेहोश करने की जरूरत पड़ती है और न उसका रक्त बहता है। साइबरनाइफ सिस्टम एक विशेष रूप से तैयार किया गया रोबोटिक सिस्टम है, जो उच्च परिशुद्धता (सटीक परिणाम देने वाले) शल्यक्रिया संबंधी प्रक्रियाओं को पूरा करता है। आधुनिक तकनीक की कमी और सीमित तकनीक उपलब्ध होने के कारण अभी तक भारत में रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर का इलाज एक चुनौती बना हुआ है। गौरतलब है कि रीढ़ की हड्डी एक संवदेनशील अंग है और इस पर एक निश्चित मात्रा में ही विकिरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। विकिरण उत्पन्न करने के मामले में लचीला होने के कारण साइबरनाइफ तकनीक स्पाइनल यानी रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के सबसे बेहतर विकल्पों में से एक है।