जयपुर, जनवरी 2021.
27 वर्षीय नवीन (बदला हुआ नाम), पिछले कुछ वर्षों से लगातार सिरदर्द एवं 200 से ऊपर
ब्लड प्रेशर से परेशान था। 4 वर्षों से वह लगातार
न्यूरोलॉजिस्ट एवं फिजिशियन डॉक्टर्स के चक्कर काट रहा था परन्तु इतनी कम उम्र में
ऐसी समस्यां क्यों हो रही है उसकी डायग्नोसिस नहीं हो पा रही थी। हाल यह था कि उसे
4 से 5 गोलियां रोज खानी पड़ रही थी
लेकिन फिर भी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा था। अपनी इन परेशानियों के साथ वह
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर आया, जहाँ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल शर्मा के सटीक डायग्नोसिस एवं उपचार
द्वारा मरीज को इस परेशानी से निजात मिली। मरीज को दरअसल कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा
(महाधमनी में सिकुड़न) नामक जन्मजात हृदय रोग था जिसके कारण उसे लगातार सिरदर्द व
अनियंत्रित ब्लड प्रेशर की समस्या हो रही थी। बीमारी के तहत उनकी सिकुड़ी हुई
महाधमनी में स्टेंट डाला गया और उनकी इस समस्या का पूरी तरह निदान किया गया। इस
केस में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राहुल शर्मा के सहयोगी थे सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.
हेमन्त मदान।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल
शर्मा ने
नवीन की सभी जरूरी जाँचें की और साथ ही उन्होंने एक अतिरिक्त बात पर विशेष ध्यान
दिया कि नवीन के पैर में पल्स महसूस नहीं हो रही थी। इससे अंदाजा लगाया गया कि
जरूर उनकी कोई रक्त वाहिका ब्लॉक है। मरीज की सीटी एंजियोग्राम की गई जिसमें
कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा नामक जन्मजात हृदय रोग की डायग्नोसिस हुई। उनकी हृदय की
मुख्य रक्तवाहिका (एओर्टा) बहुत सिकुड़ चुकी थी जिसके परिणामस्वरूप मरीज को लगातार
सिरदर्द एवं अनियंत्रित बी.पी. की समस्या हो रही थी। मुख्य रक्तवाहिका में स्टेंट
डालना काफी जटिल होता है क्योंकि इस रक्तवाहिका से काफी छोटी नसें उत्पन्न होती है
जो पूरे शरीर में रक्त का संचार करती है। स्टेंट डालने में छोटी सी भी चूक से अगर
कोई नस ब्लॉक हो जायें तो जान को भी खतरा हो सकता था। स्टेंट डालने के लिए नवीन के
पैर में चीरा लगाया गया और वहां की नस से होते हुए मुख्य धमनी के सिकुड़े हुए
हिस्से तक स्टेंट को पहुंचाया गया। इस प्रोसीजर के अपने जोखिम थे लेकिन पूरा
प्रोसीजर सफल रहा और नवीन बिल्कुल ठीक हो गए। इनका रक्तचाप जो 200 से अधिक रहता था अब 120 के आस पास पहुँच गया और
सिरदर्द भी काफी हद तक ठीक हो चुका है। अगर मरीज की सटीक डायग्नोसिस व ईलाज नहीं
होती तो निरंतर हाई बी.पी. के चलते मरीज को कभी भी ब्रेन स्ट्रोक या किडनी की
समस्यां होने के पूरे आसार थे।
नारायणा सुपर स्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, गुरूग्राम के डायरेक्टर एवं सीनियर
कंसलटेंट-कार्डियोलॉजी, डॉ. हेमन्त मदान ने बताया कि कोआर्कटेशन ऑफ एओर्टा जैसे जन्मजात हृदय रोग अक्सर बचपन में
ही डायग्नोस हो जाते हैं। लेकिन किसी व्यस्क में इसका डायग्नोसिस होना रेयर केस
में से एक है और बहुत कम ही सुना जाता है।