जयपुर, फरवरी, 2021.
विश्व कैसर दिवस के मौके पर नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, जयपुर
ने विभिन्न जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम एवं वेबिनार आयोजित किए। विशेषज्ञों ने
कैंसर के कारण, बचाव
और इलाज के बारे में जानकारियाँ साझा की। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में
कैंसर का बड़ा कारण जीवनशैली में अस्वस्थ बदलाव, वायु-जल-खाद्य प्रदूषण, फर्टिलाइजर, पेस्टीसाइड
आदि हैं। इसके अलावा मोटापा, शारीरिक गतिविधियों से दूरी भी इस बीमारी का कारण बन
रहे हैं।
इस संबंध में विदेशों से प्रेरणा ली जा सकती है, बहुत
से देशों में मात्र 30 फीसदी मरीज़ ही कैंसर के अंतिम स्टेज में इलाज के लिए
आते हैं, क्योंकि
जल्दी ही शुरुवाती लक्षण पहचान कर इलाज शुरू करने की प्रवृति वहाँ अधिक देखने को
मिलती है। वहीं जानकारी के आभाव में, भारत में अक्सर मरीज
अंतिम चरणों में इलाज कराने पहुंचते हैं। साल 2020 में
आई.सी.एम.आर. के एक अध्ययन के अनुसार साल 2025 तक
भारत में कैंसर के मामलों 12 फीसदी इजाफा देखने को मिल सकता है। ऐसे में कुछ
सावधानियों व नियमों का पालन बहुत से जोखिमों से बचा सकता है।
45 की उम्र के बाद कैंसर की
स्क्रीनिंग
नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कैंसर रोग विशेषज्ञ
डॉ. रोहित स्वामी ने बताया कि, कैंसर खतरनाक रोग जरूर है, मगर
समय पर स्क्रीनिंग करके इलाज लेने से इसे काबू में किया जा सकता है। कैंसर के
लक्षण सामान्य न समझें, ध्यान दें कि शरीर में कोई भी घाव लंबे समय तक नहीं
भरे, लगातार
खांसी, मुंह
के छाले व खून आना, छाती में दर्द, आवाज में खरास, स्तन
में कोई गांठ या निप्पल से किसी भी तरह का रिसाव होना आदि कैंसर के लक्षण हो सकते
हैं। ऐसा होने पर तुरंत डाक्टर को दिखा कर जांच कराएं। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के
लिए 12 वर्ष
की उम्र से पहले बच्चियों को वैक्सीन लगवाऐं। वहीं लोगों को 45 साल की
उम्र के बाद कैंसर की स्क्रीनिंग जरूर करानी चाहिए।
पेट
संबंधी बदलाव पर दें ध्यान
नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के लैप्रोस्कोपिक एवं
गैस्ट्रो सर्जन डॉ. सौरभ कालिया बताया कि पाचनतंत्र (जीआई) संबंधी कैंसर तेजी से
फैलने वाले कैंसर होते हैं, ऐसे में इनकी जल्दी जांच करा ली जाए तो इलाज व सर्जरी
से इन्हें प्रभावी रूप से ठीक किया जा सकता है। ऐसे में पेट में दर्द, भूख कम
लगना, शौच के
रास्ते से खून आना आदि ऐसे संकेत हैं जो आगे जाकर कैंसर हो सकता है। खासतौर पर 50 साल से
ज्यादा की उम्र हो तो पेट संबंधी नए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
मुंह व
गले का 90 फीसदी
कैंसर तंबाकू से
नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के ईएनटी स्पेशलिस्ट, हैड
एंड नेक कैंसर सर्जन डॉ. दीपांशु गुरनानी बताते हैं कि, भारत
में ब्रेस्ट या सर्वाइकल कैंसर से भी ज्यादा मौतें मुंह व गले के कैंसर के कारण हो
रही हैं। हाल के वर्षों में 20-25 साल वाले युवाओं को भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले
रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है तंबाकू सेवन और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट)
की लत। अगर कैंसर के शुरूआती चरणों (स्टेज-1, स्टेज-2) में ही
उपचार (सर्जरी, रेडियेशन
व कीमोथेरेपी) हो जाये तो, उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत तक है। वहीं स्टेज-3 या
स्टेज-4 में 50 से 60% ही
सफलता दर रह जाती है। तंबाकू सेवन करने वाले मरीजों को नियमित ओरल जाँच करवानी
चाहिए ताकि कैंसर की डायग्नोसिस जल्द से जल्द हो सके।
नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कैंसर सर्जन डॉ. दिनेश
गुप्ता बताते
हैं कि सबसे पहले तो अभी के दौर को ध्यान में रखते हुए कैंसर के मरीज़ कोविड
संबंधित सावधानियों का ज़रूर पालन करें. कोविड वैक्सीन की यदि बात करें तो जिन
कैंसर मरीज़ों की इम्युनिटी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हो, संबंधित बीमारियों से
गंभीर रूप से ग्रसित न हों तो ऐसे मरीज़ अपने संबंधित डॉक्टर की सलाह पर कोविड
वैक्सीन ले सकते हैं।
हर
कैंसर के लिए अलग स्क्रीनिंग-कैंसर के संभावित खतरे से बचने के लिए जिन कैंसरों की
स्क्रीनिंग होती है समय-समय पर करवानी चाहिए। कैंसर का प्रभाव हर अंग पर
अलग-अलग तरह से होता है, इनकी स्क्रीनिंग भी अलग होती है। लंग कैंसर के लिए
चेस्ट एक्स-रे और सीटी चेस्ट, प्रोस्टेट कैंसर के लिए सीरम पी.एस.ए., ब्रेस्ट
कैंसर में मैमोग्राम, आंतों के कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी और गर्भाशय मुख
कैंसर के लिए पैप-स्मेयर टेस्ट करवाया जाता है।