Jaipur, March 2021.
मामूली नज़र आने वाले दर्द
या शारीरिक समस्याएं किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्यां का सूचक हो सकती हैं इसलिए
इन्हें कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ठीक ऐसा ही एक केस नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, जयपुर में आया, जब 61 वर्षीय सीमा (बदला हुआ नाम) अस्पताल में पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायात के साथ परामर्श
लेने आई, जो उन्हें कई दिनों से हो
रहा था। शिकायत सुनकर डॉक्टरों नें दर्द की सही वजह जानने के उद्देश्य से उनकी
सोनोग्राफी व सीटी एंजियोग्राफी की। पता चला कि पेट में दर्द के पीछे का कारण था
आँतों के रक्त प्रवाह में रूकावट-आँत में रक्त की आपूर्ति करने वाली तीन धमनियों में से दो में 100 प्रतिशत एवं तीसरी में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज था। रक्त प्रवाह ठीक से न होने के
कारण आँत का एक बड़ा हिस्सा सड़ गया था जो कि एक घातक स्थिति थी। समय रहते
डायग्नोसिस, इमरजेंसी सर्जरी एवं हाई
रिस्क एंजियोप्लास्टी द्वारा मरीज की जान बचा ली गई। उपचार की रूपरेखा एक बहुविषयक
टीम द्वारा बनाई गयी थी, जिसमें गैस्ट्रो सर्जन डॉ. सौरभ कालिया एवं सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेन्द्र श्रीमाल शामिल
थे। अगर मरीज की तुरंत सर्जरी एवं हाई रिस्क एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती तो पूरे शरीर में संक्रमण फैल सकता था एवं
मल्टी ऑर्गन फेलियर की स्थिति बन सकती थी।
डायग्नोसिस पश्चात् बंद
धमनियों को खोलने के लिए पहले एंजियोप्लास्टी करने का निर्णय लिया गया, लेकिन अचानक सीमा जी की तबियत बिगड़ गई और उन्हें
इमजरेंसी सर्जरी के लिए लेना पड़ा। सर्जरी के दौरान, यह पाया गया कि उनकी आंत के एक बड़े हिस्से में
गैंग्रीन हो गया था जिसे अगर तुरंत नहीं हटाया जाता, तो संक्रमण अन्य अंगों में भी फैल जाता। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के गैस्ट्रो सर्जन डॉ. सौरभ कालिया के अनुभवी निर्देशन में यह
सर्जरी की गई और संक्रमित आँत के हिस्से को हटाया गया।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देवेन्द्र श्रीमाल ने बताया कि धमनियों में
रूकावट को ठीक करना अभी भी महत्वपूर्ण था क्योंकि अगर रक्त प्रवाह सुचारू नहीं
किया जाता तो आँत के बचे हुए हिस्से में भी (खून नहीं पहुंचने के कारण) गैंग्रीन हो जाता। ऐसे में पूरी आँत
निकालनी पड़ती जिससे मरीज को जीवन भर पाचन संबंधि समस्याऐं होती। यह संक्रमण शरीर
के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता था जिससे मल्टी ऑर्गन फेलियर की स्थिति बन
सकती थी। दूसरी तरफ एंजियोप्लास्टी करना भी जोखिम भरा था क्योंकि एंजियोप्लास्टी
के दौरान खून पतला करने की दवाएं दी जाती हैं जिसमें इंटरनल ब्लीडिंग का अतिरिक्त
खतरा रहता है। सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए और अत्याधिक सावधानी के साथ
सर्जरी के अगले दिन एंजियोप्लास्टी कर बंद धमनियों को खोला गया। यह प्रक्रिया भी
पूरी तरह सफल रही। सीमा जी अब बिलकुल ठीक हैं व उनमें संतोषजनक सुधार देखने को
मिला है। यह एक प्रकार का पैरीफेरल वैस्कुलर डिजिज है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी
हॉस्पिटल, जयपुर की जोनल क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. माला ऐरन ने बताया कि उच्च जोखिम
वाले प्रोसिजर एवं सर्जरी करने के लिए जरूरी हैं प्रत्येक जटिलताओं से निपटने वाली
टीम। हमें खुशी हैं कि हमारे एक्सपर्ट विशेषज्ञ इतने जटिल मामलें में भी सभी
जोखिमों को अत्याधुनिक तकनीक एवं अपने अनुभव के साथ हैण्डल कर पायें और मरीज को एक
नया जीवनदान दिया।