चारा काटने की मशीन से 2 बच्चों के हाथ कट कर हुए अलग, नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर की टीम ने वापस जोड़े

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जयपुर। हाल ही में मात्र 10 दिनों के अंतराल में नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर में दो बच्चों के पूर्णतः कटे हुए हाथों को पुनः जोड़ा गया। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के ऑर्थोपेडिक, हैण्ड एवं माइक्रोवैस्कुलर सर्जन डॉ. गिरीश गुप्ता व उनकी अनुभवी टीम ने मिलकर एक प्रकार से इन बच्चों को नया जीवन दिया। दोनों ही मामलों में कोविड रिपोर्ट आने तक का समय नहीं गंवाया गया और सभी कोविड नियमों का पालन करते हुए इमरजेंसी सर्जरी की गई। 

 

चूरू निवासी 6 वर्षीय प्रवीण (परिवर्तित नाम) का हाथ सुबह-सुबह चारा काट रही कुट्टी मशीन में आ गया और देखते ही देखते प्रवीण का दायां हाथ कलाई से कट कर जमीन पर पड़े चारे पर गिर गया। बिना समय गंवायें परिवारजन प्रवीण को लेकर नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की इमरजेंसी में पहुँचे। प्रवीण के कट चुके हाथ की कलाई को प्लास्टिक बैग में डालकर, आईस बॉक्स में सुरक्षित लाया गया। अस्पताल में डॉक्टर्स की टीम स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिना समय गंवायें प्रवीण की कटी हुई कलाई को वापस हाथ से जोड़ने के लिए प्रयासरत हो गए। इमरजेंसी से ऑपरेशन थियेटर तक एक प्रकार का ग्रीन कॉरिडार बनाकर प्रवीण की इमरजेंसी सर्जरी की गई ओर हाथ को पुनः जोड़ा गया। 7 घंटे चले इस जटिल ऑपरेशन में मरीज के खून की नसों को ठीक से जोड़ा गया और 7 दिनों बाद मरीज को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज की उम्र एवं समय रहते ईलाज के कारण उसका हाथ आने वाले दिनों में लगभग सामान्य हो जाएगा और काम करने लगेगा।

 

इसी दौरान एक अन्य लोसल, सीकर निवासी 11 वर्षीय चेतन (परिवर्तित नाम) जब फंसा हुआ चारा मशीन से निकाल रहा था तो अचानक भूलवश उसके बड़े भाई ने कुट्टी मशीन का बटन ऑन कर दिया, जिसके कारण चेतन का बांया हाथ कलाई से कट कर अलग हो गया। उसे भी तुरंत नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की इमरजेंसी में लाया गया। चेतन का हाथ भी ठीक उसी प्रकार प्लास्टिक में कवर करके सुरक्षित लाया गया जैसे प्रवीण का हाथ लाया गया था। एक बार फिर से डॉ गिरीश गुप्ता व टीम  ने चेतन की कटी हुई कलाई को हाथ से जोड़ दिया और लगभग सामान्य स्थिति में ले आये।

 

फिलहाल दोनों बच्चों के हाथ पूर्णतः जीवित हैं, और आने वाले दिनों में दोनों बच्चे पहले की ही तरह अपने हाथों से सभी दैनिक कार्य करने की स्थिति में आ जायेंगे। 

 

ऑर्थोपेडिक, हैण्ड एवं माइक्रोवैस्कुलर सर्जन, डॉ. गिरीश गुप्ता दोनों बच्चों के केस की चुनौतियों के बारे में बताते है कि-

1.      खून का दौरा सुचारू करने के लिए जो कटी हुई धमनियों को जोड़ा जाता हैं उनके बंद होने का खतरा कई दिनों तक बना रहता है इसलिए लगातार मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है

2.      वापस शरीर में गंदा खून ले जाने वाली नसें बहुत बारीक होती है- उन्हें फिर से जोड़ना बहुत चुनौतिपूर्ण होता है और उनमें खून का थक्का होने का खतरा भी बना रहता है

3.      मरीज के खून को कई दिनों तक पतला रखना पड़ता है इसलिए बार-बार जाँचों द्वारा दवाई के डोज को घटना-बढ़ाना पड़ता है

4.      ऑपरेशन के दौरान शरीर का तापमान काफी हद तक बढ़ सकता है जो घातक होता है इसलिए ऑपरेशन के दौरान भी बहुत सावधानी बरतनी होती है


यहाँ ध्यान देने वाली एक बात यह भी है कि कुट्टी मशीन जो ग्रामीण इलाकों में चारा काटने के उपयोग में लाई जाती है, यह बहुत मायनों में सुरक्षित नहीं है। इसमें चारा काटने के लिए बड़े बड़े ब्लेड लगे होते हैं, जो मोटर लगी होने के कारण पंखे की भांति तेज़ गति में घुमते हैं। ज़ाहिर है थोड़ी सी भी असावधानी बेहद गंभीर चोट का ख़तरा बन सकती है। इसलिए बेहद ज़रूरी है कि इस मशीन से जुड़े खतरों के बारे में ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक जाए और कोशिश होनी चाहिए कि :-

·         केवल व्यस्क व्यक्ति ही पूरी सावधानी और देख रेख के साथ इसका प्रयोग करें। इस मशीन को चलाने के बेहतर जानकार ही इस मशीन का संचालन करें।

·      इस मशीन के आस पास एक प्रकार का सुरक्षा का घेरा बनाएं, ताकि मशीन के उपयोग से अनजान व्यक्ति और बच्चों की इससे दूरी सुनिश्चित की जा सके।