उदयपुर, जुलाई 2021.
कोविड महामारी के इस दौर में इसकी वैक्सीन एक बेहद ज़रूरी
कदम है, लेकिन इसके साथ ही अन्य बीमारियों से बचाव के लिए दी जाने वाली वैक्सीन के
सन्दर्भ में बहुत लोगों में भ्रम की स्थिति है। इसी क्रम में हेपेटाइटिस बी की
वैक्सीन को लेकर बहुत से लोगों में उलझन हैं, ख़ासकर
वे लोग जिनका लिवर कमज़ोर है और हेपेटाइटिस बी के संक्रमण की आशंका है।ऐसे
में समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हाल ही में पारस जेके अस्पताल,
उदयपुर के विशेषज्ञों ने हेपेटाइटिस बी व कोविड की वैक्सीन के सन्दर्भ में
लोगों की मदद करने के उद्देश्य से कुछ विशेष सन्देश जारी किये। याद रहे कोविड
महामारीके आने से पहले ही हेपेटाइटिस देश में चिंताजनक आंकड़े पेश कर रहा है।डब्ल्यूएचओ
के अनुसार हेपेटाइटिस बी का संक्रमण एचआईवी की तुलना में 50 से 100 गुना ज्यादा
संक्रामक होता है, और विश्व में तकरीबन 257 मिलियन लोग गंभीर हेपेटाइटिस बी के
संक्रमण से जूझ रहे हैं।इस वर्ष वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे की थीम “हेपेटाइटिस कांट
वेट” है, यानी हेपेटाइटिस इंतज़ार नहीं कर सकता। ऐसे में उचित कदम सही समय पर उठाना
अनिवार्य है।
गौरतलब है कि कोविड संक्रमण
फेफड़ों तक ही सीमित नहीं होता, यह शरीर के अन्य अंगों समेत लिवर को प्रभावित करता
है। ऐसे में हेपेटाइटिस और कोविड संक्रमण दोनों एक दूसरे की गंभीरता को बढ़ा सकते
हैं और ऐसे मरीज़ के लिवर को एक आम कोविड से प्रभावित व्यक्ति के लिवर की तुलना में
अधिक नुकसान पहुँच सकता है।
हेपेटाइटिस बी अक्सर आम दिनों
में सक्रिय नहीं होता और कोविड होने पर इलाज के दौरान इसके सक्रिय हो जाने की
संभावना होती है, जिसके लिए हेपेटाइटिस बी की पहले से ली जा चुकी वैक्सीन मददगार
हो सकती है।वहीं दूसरी स्थिति में जिन लोगों का हेपेटाइटिस बी सक्रिय हो जाए और
लिवर प्रभावित होने लग जाए तो भी उन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार कुछ स्थितियों
में हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन दी जाती है। इस स्थिति में कोविड की वैक्सीन को किस
समय लिया जाए इस सन्दर्भ में डॉक्टर राजीव शर्मा, एसोसिएट कंसल्टेंट
गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, पारस जेके अस्पताल, उदयपुर कहते हैं कि, “सही जानकारी
के अभाव में लोगों काभ्रमित होना स्वाभाविक है लेकिन ज़रूरी है कि वे अपनी जानकारी
के स्रोत सही रखें। हेपेटाइटिस बी की यदि बात करें तो वे निश्चित रूप से 14 दिनों
के अंतराल में कोविडऔर हेपेटाइटिस बी दोनों की वैक्सीन ली जा सकती है।अभी तक ऐसे
कोई भी अध्ययन मौजूद नहीं हैं जिनसे हेपेटाइटिसके मरीजों पर कोविड वैक्सीन के
दुष्प्रभावों का पता चले, इसलिएसभी को कोविड और हेपेटाइटिस दोनों की वैक्सीन लेनी
चाहिए।डर की स्थिति में वैक्सीन न लेना कोविड और हेपेटाइटिस बी दोनों की गंभीरता को
बढ़ाएगा, इसलिए उचित है कि ठीक समय पर वैक्सीन ली जाए।
डॉक्टर राजीव
शर्मा आगे बताते हैं कि, “याद रखें लिवर शरीर के प्रमुख अंगों
में से एक है, इसे बीमारियों व संक्रमण से बचाएं। अपने आस पास मौलिक साफ़ सफाई बनाए
रखें ताकि कोविड और हेपेटाइटिस (ए और ई) दोनों से बचाव सुनिश्चित करने में मदद
मिले। पहले से इस्तेमाल किये गए ब्लेड, सिरिंज, टैटू बनाने वाली सुई, पीयर्सिंग या
नाक कान छेदने वाली सुई आदि का इस्तेमाल न करें, सुरक्षित यौन संबंध बनाएं क्योंकि
हेपेटाइटिस बी,सी व डी रक्त के ज़रिये फैलते हैं और हेपेटाइटिस ए और ई दूषित भोजन,
जल आदि के सेवन से फैलते हैं। इसके अलावा शराब धूम्रपान आदि की लत से बचें, स्वस्थ
जीवनशैली अपनाएँ। हेपेटाइटिस के रोगों को गंभीरता से लें और हर कदम सुरक्षा
सुनिश्चित करें।
पेट में होने वाली गड़बड़ियों को
गम्भीता से लें I कोई भी मामूली नज़र आने वाला लक्षण जैसे :-
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बेवजह थकान के साथ उल्टियां
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त्वचा में पीलापन
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लगातार पेट में दर्द
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बुखार
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जी मिचलाना
किसी भी गंभीर बीमारी की और
इशारा कर सकता है।इनमें में से किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें, न ही घरेलू उपचार करें और ना ही बिना डॉक्टर के उचित
परामर्श केमिस्ट से दवा लें। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और सही जांच व इलाज
सुनिश्चित करें।