अंगदान नहीं होने से हर साल 5 लाख लोगों की मौत

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जयपुर।  अंगदान को महादान का दर्जा दिया गया है। बावजूद इसके यथोचित अंगदान नहीं होने से हर साल 5 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। देश में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की जरूरत होती है, मगर सिर्फ चार से पांच हजार किडनी ही मिल पाती हैं। वहीं भारत में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को हर साल 25 हजार लिवर की जरूरत होती है, मगर 800 से 1000 ही मिलते हैं। अंगदान के प्रति जागरुकता नहीं होने के कारण जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपण के लिए अंग नहीं मिल पाते हैं। लिवर, किडनी जैसे अंग जीवित व ब्रेन डेड मरीज दान कर सकते हैं।

अंगदान दिवस के मौके पर नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल, जयपुर के चिकित्सकों ने बताया कि, एक व्यक्ति अपने अंग दान करके आठ लोगों को नई जिंदगी दे सकता है। कुछ अंग जीवित व्यक्ति दान कर सकता है, तो कुछ ऐसे मरीज जो किसी दुर्घटना या अन्य कारण से ब्रेन डेड हो चुके हैं, उनके अंग दान करके दूसरे रोगियों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

लिवर 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट होना जरूरी :

डॉ. राहुल राय, लिवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन,नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल, जयपुर बताते हैं, “अंगदान का मतलब है कि, किसी व्यक्ति से स्वस्थ अंगों व टिशूज को लेकर किसी अन्य जरूरतमंद मरीज में ट्रांसप्लांट कर देना। डोनर के शरीर से निकलने के 6 से 12 घंटे के अंदर अंगों को ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए। लिवर निकालने के 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। लिवर शरीर का एकमात्र ऐसा अंग है जो फिर से विकसित हो सकता है। इसलिए कोई भी व्यक्ति भी इसे आराम से दान कर सकता है। ज्यादातर ब्रेन डेड व्यक्तियों के लिवर दान लिए जाते हैं, मगर एक स्वस्थ व्यक्ति भी आधा लिवर दे सकता है।“

हर साल डेढ़ लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत :

डॉ. कमल कस्वां, नेफ्रोलॉजिस्ट, नारायणा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पीटल, जयपुर ने कहा, देश में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की जरूरत होती है, मगर सिर्फ चार से पांच हजार किडनी ही मिल पाती हैं। शरीर से निकलने के बाद किडनी 12 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट हो जानी चाहिए। लोगों में किडनी दान करने को लेकर फैली भ्रांति के उलट डोनर को इसमें कोई खतरा नहीं रहता है और वह एक किडनी से भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। अंगदान के प्रति जागरुकता जरूरी है, इससे हजारों मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है।“