नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने टावी पद्धति से दिया बुज़ुर्ग को नया जीवन

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जयपुर, नवंबर  2021.

हृदय के वॉल्व में खराबी होने पर ओपन हार्ट सर्जरी का विकल्प आम होता है। लेकिन टावी एक ऐसी तकनीक है जिसके तहत बिना किसी चीर-फाड़ या सर्जरी के प्रभावित वॉल्व को बदला जा सकता है और रोगी उपचार के ठीक अगले ही दिन आराम से चलने फिरने की स्थिति में आ जाता है। यह अत्याधुनिक तकनीक प्रदेश के चुनिन्दा अस्पतालों में ही उपलब्ध है जिनमें से एक नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर है। हाल ही में नारायणा हॉस्पिटल में इस तकनीक द्वारा एक 66 वर्षीय रोगी का हार्ट वॉल्व बदला गया। रोगी को अनियंत्रित डायबिटीज, मोटापा, हृदय व गुर्दे में खराबी एवं श्वसन क्षमता में कमी का इतिहास था, इसलिए ओपन हार्ट सर्जरी करना जोखिम भरा होता और ऐसे मामले में इस मरीज के लिए टावी तकनीक एक वरदान साबित हुई।

अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के बाद भी 66 वर्षीय नरेन शर्मा (बदला हुआ नाम) जीवन के प्रति सकारात्मक रूख रखते है। उनका हृदय सिर्फ 30 प्रतिशत क्षमता पर ही काम कर रहा था और 4 साल पहले ही उन्हें वॉल्व की समस्यां का पता चल चुका था जिसके लिए वो दवाओं पर भी थे। पिछले कुछ दिनों से जब उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो उनके परिजन उन्हें नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी, जयपुर लायें। डायग्नोसिस कराने पर पता चला कि हार्ट वॉल्व की कार्य क्षमता बिगड़ चुकी थी जिसके लिए तत्काल वॉल्व बदलने की जरूरत थी साथ ही हृदय की एक मुख्य धमनी में ब्लॉकेज भी डायग्नोस हुई जिसके लिए एंजियोप्लास्टी करवाना आवश्यक हो चुका था।

नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियोलॉजिस्ट - डॉ. निखिल चौधरी एवं स्ट्रक्चरल हार्ट डिजिज स्पेशलिस्ट डॉ. माणिक चौपड़ा की एक हार्ट टीम का गठन किया गया ताकि मरीज के लिए सबसे उपयुक्त उपचार विकल्प का निर्णय लिया जा सके। पारंपरिक रूप से ऐसे मामलों में खराब हार्ट वॉल्व को बदलने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है लेकिन मरीज के चिकित्सा इतिहास को देखते हुए नॉन सर्जिकल टावी तकनीक को सबसे उपयुक्त उपचार विकल्प माना गया। मरीज की एक ही सिटिंग में हार्ट वॉल्व बदला गया और ब्लॉक धमनी को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी की गई।

टावी के फायदों के बारे में बताते हुए डॉ. निखिल चौधरी, कंसलटेंट-कार्डियोलॉजी, नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर ने कहा कि, यह प्रक्रिया एक छोट चीरे के माध्यम से की जाती है (जांघ के पास) जिसके द्वारा ही बायो-प्रोस्थेटिक वॉल्व को प्रभावित वॉल्व क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है। क्योंकि प्रक्रिया बिना ऐनेस्थीसिया या सर्जरी के होती है इसलिए मरीज अगले ही दिन से पूरी तरह से सक्रिय हो जाता है। प्रोसीजर और रिकवरी की दृष्टि से देखें तो टावी का अनुभव एंजियोग्राफी के सामान है क्योंकि पूरा प्रोसीजर बहुत मामुली चीरे से होता है और मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी होती है।

नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के टावी एक्सपर्ट, डॉ. माणिक चोपड़ाने बताया कि, ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में टावी एक मंहगी उपचार प्रणाली है, किन्तु यह तकनीक वृद्ध रोगियों एवं उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है जो मेडिकल कारणों से सर्जरी नहीं करा सकते या फिर सर्जरी करवाने में अधिक जोखिम है।