जयपुर , दिसंबर 16, 2021.
हाल ही में
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की
उपलब्धियों में यहाँ की ऑर्थोपेडिक टीम ने एक और उपलब्धि जोड़ दी है। डॉ. हेमेन्द्र
अग्रवाल व उनकी टीम ने एक ऐसे 73 वर्षीय मरीज की सफल जोड़-प्रत्यारोपण सर्जरी की है जो बीते 4
वर्ष से पूरी तरह से बेड पर थे और एडवांस्ड आर्थराईटिस की पीड़ा
से जूझ रहे थे। मरीज घासी राम (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि 15
वर्ष पहले ही उन्हें आर्थराईटिस की समस्या शुरू हो गई थी जो
उम्र के साथ-साथ गंभीर होती चली गई और फिर एक ऐसा दौर आया जब उनके घुटने तकरीबन 40
डिग्री तक मुड़ गए,
यह एक ऐसी
स्थिति थी जिसमें उनका खड़े हो पाना भी एक तरह से नामुमकिन था। उन्हें उठने-बैठने
व अपने अन्य दैनिक कार्यों और यहाँ तक कि पखाना जाने के लिए भी परिवार के अन्य
सदस्यों की मदद लेनी पड़ती थी। सफल सर्जरी पश्चात् आज वह पूरी तरह से ठीक हो गये है
और फिर से चल फिर पा रहे है।
घासी राम समझ चुके थे कि घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी ही एक
मात्र विकल्प है और वे इस सन्दर्भ में बहुत से डॉक्टरों से परामर्श भी ले चुके थे,
लेकिन समस्यां इस बात की थी कि उनमें से कोई भी उन्हें वापस
पहले जैसी स्थिति में लाने के लिए आश्वस्त नहीं कर पा रहा था। जब घासी राम नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर आये, उन्होंने ऑर्थोपेडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. हेमेन्द्र
अग्रवाल से परामर्श लिया। डॉक्टर ने उनकी स्थिति का गहन अध्ययन किया और उनमे
आत्मविश्वास जगाया कि वे दोबारा अपने पैरों से चल सकेंगे, वह
भी बिना किसी सहारे या मदद के। डॉ. हेमेन्द्र ने अपनी टीम के साथ सर्जरी की योजना
बनाई और मरीज की सफल सर्जरी की।
ऐसे मामलों
में जहां घुटनों की विकृति इतनी गंभीर होती है कि घुटने के जोड़ 40
डिग्री तक मुड़ जाते हैं- स्टेम रिवीजन रिप्लेसमेंट इम्प्लांट का
आमतौर पर उपयोग किया जाता है, लेकिन प्राईमरी इंप्लांट्स की तुलना में इनकी लाईफ कम होती है।
इसलिए सभी चुनौतियों को स्वीकारतें हुए और रोगी को लम्बे समय तक बेहतरीन परिणाम
देने के उद्देश्य से डॉ. हेमेन्द्र ने प्राईमरी इंप्लांट्स का ही उपयोग कर
जोड़-प्रत्यारोपण सर्जरी की जो सफल रही। घासी राम सर्जरी के ठीक अगले दिन अपने
पैरों पर चलने के काबिल हो गए और उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। इसके साथ ही कुछ
महीनों की फिज़ियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन के बाद वे बिना किसी दर्द के 2
किलोमीटर तक की सैर भी करने करने लगे। यह किसी ऐसे व्यक्ति के
लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी जो पिछले 4 साल से बिस्तर
पर ही था।
नारायणा
मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर
के ऑर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं आर्थ्रोस्कोपी सर्जन डॉ हेमेन्द्र
अग्रवाल ने बताया कि, हमें घासी राम जी को वापस अपने पैरों पर खड़ा देख बेहद खुशी हो
रही है। निश्चित रूप से यह केस जोखिमों और चुनौतियों से भरा था,
क्योंकि घुटने की गंभीर विकृति को ठीक करने की जरूरत थी,
साथ ही घुटनों की पेटला हड्डी भी इतनी विकृत हो चुकी थी कि
सर्जरी के दौरान उसे भी ठीक करना पड़ा था। यह मेरे करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण केसों
में से एक था। अपने पैरों पर वापस खड़े होने पर घासी राम जी की आँखों से ख़ुशी के
आंसू छलक पड़े थे। इस केस से साबित होता है कि यदि आधुनिक इलाज के साथ अनुभवी और
कुशल टीम का साथ हो तो ऐसी गंभीर चुनौतियों का भी सामना किया जा सकता है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल,
जयपुर की जोनल क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. माला ऐरन एवं फैसिलिटी
डायरेक्टर बलविन्दर सिंह वालिया ने
कहा कि, मरीजों को सर्जरी की यदि ज़रूरत हो तो देरी नहीं करनी चाहिए
क्योंकि इस तरह की सर्जरी में देरी करना प्रतिकूल हो सकता है। मरीज़ डॉक्टर की सलाह
पर जल्द से जल्द इलाज शुरू करने को प्राथमिकता दें, ताकि
वे जल्द से जल्द ठीक हो सकें और बेहतर जिंदगी बिता सकें।