जयपुर, जून, 2021.
राजस्थान में किशोर स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख अभियान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाई है। इसके लिए दोनों मंत्रियों ने किशोरों के बेहतर स्वास्थ्य और संपूर्ण कल्याण हेतु शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए। ये अभियान राष्ट्रीय स्तर की गैरसरकारी संस्था , पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) की ओर से शुरू किया गया है, पीएफआई के प्रतिनिधि भी इस दौरान मौजूद रहे।
सकारात्मक बदलाव के कारक
बनाने हेतु युवाओं को स्वस्थ एवम् सशक्त
बनाने की राजस्थान सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए इस शपथ पत्र में कहा
गया है कि " किशोर और युवा मानव संसाधन के रूप में हमारा भविष्य हैं और हम एक
न्यायपूर्ण, समावेशी और समृद्ध राजस्थान के लिए उनके
स्वास्थ्य और समग्र विकास में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" यह शपथ पत्र
विकास योजनाओं और नीति निर्माण की प्रक्रिया में युवाओं को शामिल करने और उनकी
भागीदारी सुनिश्चित करने का वादा करता है ताकि वे उन फैसलों में शामिल हो सकें जो
उनके जीवन को प्रभावित करेंगे।
पीएफआई की वरिष्ठ राज्य कार्यक्रम प्रबंधक दिव्या संथानम का कहना है कि "एक जमीनी स्तर के संगठन के रूप में, हमने पाया है कि जब सरकारें अपने संसाधनों का अच्छी तरह से उपयोग करती हैं और समाज सेवी संगठनों के साथ समन्वय बिठाती हैं, तो परिवर्तन अधिक तेज़ी से, बड़े पैमाने पर होता है। स्वास्थ्य मंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री का ये कदम राजस्थान में किशोर स्वास्थ्य की प्राथमिकता सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
राजस्थान सरकार पहले से ही ये
प्रतिबद्धताएं निभा रही है। इसके तहत बाल विवाह समाप्ति के लिए अभियान चलाने के
साथ ही युवाओं के स्वास्थ्य और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी
योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें निरोगी राजस्थान, जीरो टीनएज
प्रेग्नेंसी कैंपेन (स्वास्थ्य मंत्री द्वारा कैंपेन की शुरुआत की गई), सभी 200 निर्वाचन क्षेत्रों में मॉडल सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के साथ-साथ इन मॉडल सीएचसी में किशोर अनुकूल
स्वास्थ्य केंद्रों (एएफएचसी) को शामिल करने जैसी योजनाएं महत्वपूर्ण हैं।
राज्य सरकार की ये प्रतिबद्धता
विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि राजस्थान
में युवा और किशोर आबादी राज्य की कुल जनसंख्या का 32 प्रतिशत
है। हालांकि, सामाजिक, सांस्कृतिक और
आर्थिक कारणों से उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिससे उन्हें अपनी
पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के अवसर नहीं मिल पाते।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार,
राजस्थान में 35 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की
शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है। 2018 की शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) सर्वेक्षण में कहा गया है
कि 20 प्रतिशत लड़कियां कई कारणों से स्कूल छोड़ देती हैं,
जिनमें कम उम्र में शादी और मां बन जाना शामिल है ।
दिव्या संथानम आगे कहती हैं कि “इस प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करना राज्य सरकार के ठोस कदमों और सशक्त
नीतियों के साथ किशोर एवं युवा स्वास्थ्य को प्रोत्साहन देने की प्रतिबद्धता
प्रदर्शित करता है। ताकि ये युवा भविष्य में देश के उत्पादक, स्वस्थ एवं खुशहाल नागरिक बन सकें। वर्तमान महामारी के दौर में यह और अधिक
प्रासंगिक है क्योंकि COVID-19 से ये साफ नजर आ रहा है कि
समाज को स्वस्थ और सुसंगत बनाने के लिए किशोरों और युवाओं में निवेश करने की
आवश्यकता है।”