आईआईटी बॉम्बे ने 1 करोड़ रुपये की स्टार्टअप सीड फंडिंग के साथ ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज को लॉन्च किया

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कोटा, सितंबर, 2022.

समावेशी शहरी आधारभूत ढांचे के लिए समाधानों को तलाशने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बॉम्बे ने ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज (ईवाईआईसी 2022-23) लॉन्च किया है, जिसका पंजीकरण 30 सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया है । ई-यंत्र परियोजना की फंडिंग भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की तरफ से की गई है और इसका आयोजन आईआईटी बॉम्बे के सीएसई विभाग में किया जाता है। इस वर्ष का थीम शहरी समावेशन और कृषि की मदद के लिए स्‍थायी और उन्नत तकनीकें (सस्‍टेनेबल एंड एडवांस्‍ड टेक्‍नोलॉजीज फॉर हेल्पिंग अर्बन इनक्‍लूसिविटी एंड एग्रीकल्‍चर) है। यहां समावेशन का मतलब विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) की जरूरतों को पूरा करना है, जो हमारी आबादी का लगभग 2.2% (30 मिलियन लोग) हैं, लेकिन उन्हें अपेक्षाकृत कम समावेशी शहरी क्षेत्रों की वजह से पीछे रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

ई-यंत्र एक रोबोटिक्स पहुंच कार्यक्रम है जो युवा इंजीनियरों को तकनीक का उपयोग करके समस्याओं को हल करने में मदद करता है। यह एक परियोजना आधारित सीख (पीबीएल) दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए एक व्यावहारिक और अभ्यास के जरिए सीखने का अनुभव प्रदान करके पारंपरिक शिक्षा की मदद करता है। ई-यंत्र के विशेषज्ञ गाइड वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए युवा प्रतिभागियों की क्षमता को निखारने का काम करते हैं।

ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज (ईवाईआईसी) एक अनूठी वार्षिक प्रतियोगिता है जो छात्र टीमों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने और स्टार्टअप बनाने से पहले एमओओसी के माध्यम से महत्वपूर्ण कौशल में प्रशिक्षित करती है। इसे 2014 में शुरू किया गया था और इस साल ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज का 9वां साल है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान औसतन 2,000 छात्रों ने ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज में भाग लिया है।

ई-यंत्र परियोजना के प्रिंसिपल इन्‍वेस्टिगेटर और आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर कवि आर्या ने कहा, “ई-यंत्र परियोजना बेहद विशेष परियोजना है जो आईआईटी बॉम्बे में एक दशक से अधिक समय से फल-फूल रही है। ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज एक बेहतर कल के निर्माण के लिए समाधान तलाशने के लिए वास्तविक समस्याओं पर काम करने के लिए युवा दिमाग को एक साथ लाता है। अधिकांश छात्रों के पास कौशल है लेकिन उन्‍हें यह नहीं पता कि कौन सी समस्याओं को हल करना है और कैसे हल करना है। उसके लिए, ई-यंत्र प्रतिभागियों को विषयगत क्षेत्रों पर गहन अध्ययन में संलग्न करता है जहां विशेषज्ञ उन्हें प्रासंगिक समस्याओं को स्पष्ट करने में मदद करते हैं जिन्हें वे हल कर सकते हैं। फिर उन्हें प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए निर्देशित किया जाता है और बाद में इन्क्यूबेटरों को पिचिंग में प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे अपने स्वयं के स्टार्टअप लॉन्च करना सीख सकें। यह वर्ष हमारे लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि हम सभी के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए अधिक समावेशी शहरी रहन-सहन के साथ बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने के लिए युवाओं के साथ जुड़ते हैं।”

ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज को 4 चरणों में बांटा गया है। चरण 1 में एक प्रशिक्षण प्रतियोगिता है जो प्रतिभागियों को विषय से परिचित कराता है, उन्हें तकनीक में प्रशिक्षित करता है, और फिर एमओओसी और विशेषज्ञों द्वारा लाइव सत्रों के माध्यम से प्रशिक्षण के साथ समस्याओं को स्पष्ट करने में मदद करता है। चरण 2, एक प्रोटोटाइप प्रतियोगिता है, जहां टीमें अपने प्रस्तावित समाधान का एक प्रोटोटाइप बनाने के लिए ई-यंत्र मेंटरशिप के तहत काम करती हैं।  चरण 3, एक इनोवेशन प्रतियोगिता है, जहां ई-यंत्र एक इनक्यूबेटर के लिए एक पिच विकसित करने में मदद करता है। यहां इसका मतलब आईआईटी बॉम्बे इनक्यूबेटर साइन से है। अंतिम चरण कार्यान्वयन का चरण है, जहां टीमें ई-यंत्र सलाहकारों के मार्गदर्शन में अपने प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (पीओसी) को परिष्कृत करती हैं। ई-यंत्र आईआईटी बॉम्बे में फाइनल के लिए आईआईटी बॉम्बे में संसाधन, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ-साथ यात्रा भत्ता और बोर्डिंग / आवास की सुविधा प्रदान करता है।

इस वर्ष की थीम शहरी आबादी के लिए बेहतर और अधिक समावेशी जीवन अनुभव के लिए समाधान तलाशने के लिए युवा दिमाग को एक मंच प्रदान करती है। यह जलवायु परिवर्तन और विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए बेहतर प्रावधानों को ध्यान में रखता है। यह चैलेंज छात्रों को विभिन्न संस्थानों और डोमेन से बहु-विषयक टीम बनाने की अनुमति देता है।

ई-यंत्र इनोवेशन चैलेंज प्रतिभागियों को आईआईटी बॉम्बे इन्क्यूबेटर साइन से इनक्यूबेशन समर्थन के साथ अपने स्वयं के स्टार्टअप लॉन्च करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसने नेक्स रोबोटिक्स, निब्रस टेक्नोलॉजीज (माइन सर्वेइंग ड्रोन), द्रोण ऑटोमेशन (सीवर क्लीनिंग रोबोट), और कटोमारन (मोबाइल रोबोट) जैसे स्टार्टअप को पोषित किया है।

इस वर्ष, ई-यंत्र ने इनके साथ करार किया है: ड्यूश बैंक, सोसाएटी फॉर इनोवेशन एंड ऑन्त्रप्रेन्योरशि (साइन, आईआईटी बॉम्बे), देसाई सेठी स्कूल ऑफ ऑन्त्रप्रेन्योरशिप (डीएसएसई, आईआईटी बॉम्बे), आईआईटी तिरुपति, टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब, नवाविष्कार, इनक्लूसिव दिव्यांगजन आंत्रप्रेन्योर एसोसिएशन (आइडिया), डिजाइन ब्रिज फाउंडेशन, सीएजी सीईपीटी यूनिवर्सिटी, जियोस्पैशियल इनफॉर्मेशन साइंस एंड इंजीनियरिंग हब, (जीआईएसई, आईआईटी बॉम्बे)

जीतने वाली टीमें को 1 करोड़ रुपये के प्राइज पूल से की फंडिंग प्राप्त होगी। इसके अलावा 25 लाख के इनाम भी जीतने का मौका है। ई-यंत्र के प्रिंसिपल इन्‍वेस्टिगेटर प्रोफेसर कवि आर्या छात्रों के दृष्टिकोण को "ज्ञान उपभोक्ताओं" से "ज्ञान निर्माता" में बदलने में विश्वास करते हैं। इस चुनौती का लक्ष्य "स्थानीय विघटनकारी परिवर्तन के लिए छात्रों को नवप्रवर्तनकर्ता" बनाना है।

ई-यंत्र तीन प्रमुख हितधारकों - कॉलेजों, शिक्षकों और छात्रों के साथ अपने जुड़ाव के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। ई-यंत्र पहल छात्रों को अधिक रोजगार योग्य और नवाचार और उद्यमिता की ओर उन्मुख करने के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा प्रणाली का पूरक है। अधिक जानकारी के लिए ई-यंत्र की वेबसाइट https://eyic.e-yantra.org/  पर जाएं।