जयपुर, अगस्त, 2024.
जयपुर में आज जवाहर कला केंद्र में उमंग सिल्क एक्सपो की शुरुआत हुई । इसमें देशभर के 20 राज्यों से आए दुकानदारों ने 150 से ज्यादा साड़ियों के स्टाल लगाए हैं। यहां एक छत के नीचे कई राज्यों में पहने जाने वाली अलग-अलग वैरायटी की साड़ियां लोगों को खूब भा रही हैं। सिल्क एक्सपो और हैंडीक्राफ्ट्स प्रदर्शनी का उद्घाटन आज जयपुर की सांसद महोदया मंजू शर्मा ने दीप प्रज्वलित किया। यह प्रदर्शनी 4 अगस्त से 26 अगस्त तक चलेगी । यहां विशेष रूप से सिल्क की डिजाइनर साड़ियां खरीदी के लिए उपलब्ध हैं।
सांसद मंजू शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम के लिए आवंटन में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 171 करोड़ रुपया से बढ़कर 236 करोड़ रुपये हो गया है यह बढ़ी हुई धनराशि कारीगरों के कौशल को बढ़ाने और उनकी बाजार पहुँच में सुधार लाने और पारंपरिक हस्तशिल्प में नवाचार को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
आयोजक आशीष गुप्ता ने बताया कि मार्केट में बहुत-सी ऐसी साड़ियां मिल रही हैं जो देखने में तो आकर्षक हैं, पर पहनने पर स्किन संबंधी समस्याओं को बढ़ा देती है, ऐसे में हम आर्गेनिक साड़ियां लेकर जयपुर आये है, जिनसे स्किन एलर्जी नहीं होती है। एक्सपो में आर्गेनिक साड़ियां भी हैं, जो फूलों के रस, जड़ी-बूटियों, केसर, दूध, चंदन से मिलकर बनाई गई हैं। इस कारण यह साड़ी महिलाओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां साड़ियों की अनेक वैरायटी हैं, जिनमें मूंगा सिल्क, सिल्क, कांजीवरम, पैठणी, कढ़वा बूटी, तनछुई शामिल हैं। गढ़वाली साड़ी सूट की 25000 से ज्यादा वैरायटी उपलब्ध हैं। साथ ही इन पर 50 प्रतिशत तक छूट भी दी जा रही है। वहीं त्योहारी सीजन के मद्देनजर राखी तीज स्पेशल का कलेक्शन भी है।
जिस पर लोगों की नजरें टिकी रहीं वह था की डबल इक्कत की साड़ी में सजी नीता अंबानी ने जो पटोला पहना था। वह डबल इक्कत का पटोला ही साड़ी ही नहीं, दुपट्टा भी जयपुर के 'उमंग सिल्क मेले' में मिल रहा है। जवाहर कला केंद्र में आयोजित सिल्क एक्सपो में पटोला के स्टॉल पर न केवल डबल इक्कत की साड़ी, बल्कि सिंगल इक्कत की पटोला साड़ियां भी मिल रही हैं। समिति से जुड़े राम्मलु तेलांगना इसे लेकर आए हैं। बताते हैं कि डबल इक्कत की एक साड़ी बनाने में 2 साल का वक्त लगता है। एक-एक धागे को रंगने के बाद हैंड वीविंग से साड़ियां बनाई जाती हैं। इस बार साड़ियों के अलावा सिंगल और डबल इक्कत में दुपट्टे हैं।
गोविंद शाह के पास ही राजकोट का पटोला भी मिल जाएगा। सिल्क एक्सपो की शान लक्ष्मी सिल्क सोसायटी बेंगलुरु की कांजीवरम साड़ियां भी बढ़ा रही हैं। 1500 से 1 लाख 50 हजार तक की कांजीवरम साड़ियां मलबरी सिल्क पर प्योर सिल्वर जरी का काम करके बनाई गई हैं। डेढ़ लाख की एक साड़ी बनाने में चार लोगों की 6 से 8 महीने की मेहनत लगती है। इस स्टॉल पर मौजूद शंभू ने बताया कि सरकार से कोकून लेकर उसमें से धागे निकालकर उसे रंगने और फिर साड़ियां तक का बनाने का काम हमारी सोसाइटी ही करती है। इस सोसाइटी से करीब 1400 महिलाएं और सैकड़ों पुरुष जुड़े हुए हैं। एक्सपो में कच्छ का प्रिंट भी इस बार आया है। ये ब्लॉक से कपड़े पर तैयार किया है। कपड़ों में इस्तेमाल होने वाले सभी रंग प्राकृतिक तरीके से ही बनाए जाते हैं।
उमंग सिल्क एक्सपो में जयपुर की प्रिंटेड बेडशीट, बनारस का बनारसी सिल्क, भागलपुर का हैंडलूम मटेरियल, असम का मूंगा सिल्क, पंजाब के सूट और फुलकारी दुपट्टे, रामेश्वर की
रामेश्वरम साड़ियां, खुर्जा की क्रोकरी
सहारनपुर फनीचेर जोधपुर एंटीक फनीचर, भदोई कारपेट जयपुर का हैंडलूम और सूट के साथ ही और बहुत सी
वैरायटी उपलब्ध है.